उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट हुए उपचुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की करारी हार के बाद विपक्ष जमकर हमला बोल रहा है। इस बीच हालात यह है कि दोनों सीटों पर बीजेपी की हार के बाद अब विपक्षी नेताओं के साथ-साथ सरकार के अंदर से ही सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ बगावत के सुर तेज हो गए हैं।
योगी सरकार में शामिल सुलेदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख और कैबिनेट मंत्री ओपी राजभर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है। ओपी राजभर ने कहा कि, ‘सरकार सिर्फ मंदिरों पर केंद्रित है, गरीबों के कल्याण पर नहीं। उन्होंने कहा कि ये वही गरीब हैं जिन्होंने सरकार को वोट देकर सत्ता तक पहुंचाया। कहने को बहुत सारी बातें हो रही है, लेकिन जमीन पर थोड़ा बदलाव हुआ है।’
Yes we are part of the Govt and of NDA but BJP is not following coalition dharma, I have been expressing my concerns, lekin ye log 325 seats ke nashe mein pagal ho kar ghoom rahe hain: OP Rajbhar,Suheldev Bharatiya Samaj Party Chief and UP Minister pic.twitter.com/ULkDtifo3z
— ANI UP (@ANINewsUP) March 19, 2018
राजभर ने बताया कि, ‘हां, हम सरकार और एनडीए का हिस्सा हैं लेकिन भाजपा गठबंधन धर्म का पालन नहीं कर रही है, मैं अपनी चिंताओं को व्यक्त कर रहा हूं, लेकिन ये लोग 325 सीटों के नशे में पागल होकर घूम रहे हैं। बता दें कि ओमप्रकाश राजभर का 24 घंटे में यह दूसरा हमला है। रविवार को ही उन्होंने राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के समर्थन के सवाल पर भी कई बड़ी बाते कही थीं।
राज्यसभा चुनाव में BJP को वोट देना तय नहीं
उत्तर प्रदेश उपचुनाव में करारी हार के बाद अब राज्यसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी की परेशानी बढ़ने वाली है। योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा है कि राज्यसभा के चुनाव में उनकी पार्टी बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में ही मतदान करेगी, इस संबंध में अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है।
उन्होंने कहा है कि प्रदेश सरकार के 12 महीने में भाजपा ने एक बार भी गठबंधन धर्म निभाने की कोशिश नहीं की। राज्यसभा प्रत्याशियों के नामांकन में पूछा तक नहीं। प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री अनिल राजभर के माध्यम से उन्हें बेइज्जत कराया जा रहा है। मंचों से वह अपशब्द बोल रहे हैं। वह भी ऐसे मंच पर जहां केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा उपस्थित रहते हैं।
उन्होंने कहा कि हमसे न तो बीजेपी ने संपर्क किया है और न ही विपक्ष ने। इसलिए हमने विकल्प खुले रखे हैं। हम बीजेपी नहीं है, बल्कि अलग पार्टी हैं। गठबंधन धर्म के तहत बीजेपी ने न उम्मीदवार तय करते वक्त हमसे पूछा और न ही नामांकन के लिए बुलाया। ये लोग कहते कुछ और हैं…करते कुछ और हैं। गठबंधन में हम क्या केवल हाजिरी देने के लिए हैं? इसलिए हम आंख मूंद कर हर फैसले के साथ नहीं खड़े हो सकते।
नतीजों के बाद भाजपा के भीतर से उठे सवाल
बता दें कि गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों के उपचुनाव में मिली हार के बाद भाजपा के भीतर से ही सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार पर सवाल उठने लगे हैं। परिणाम आने के एक दिन बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने संकेंतों में मुख्यमंत्री पर निशाना साधा था। वहीं, सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने आम चुनाव के लिए सतर्क रहने की चेतावनी दी थी।
स्वामी ने एक न्यूज चैनल से बातचीत योगी आदित्यनाथ का नाम लिए बिने कहा, जो नेता अपनी सीट पर जीत नहीं दिला सकते, ऐसे नेताओं को बड़े पद देना लोकतंत्र में आत्महत्या करने जैसा है। जनता में जो लोकप्रिय है, वह किसी पद पर नहीं है। मेरा मानना है कि इन सब चीजों को दुरुस्त करने के लिए अब भी समय है।
वहीं, बिहार के पटना साहिब से सांसद और पार्टी पर हमला करने के लिए पहले से ही चर्चित शत्रुघ्न सिन्हा ने भी मौका नहीं चूका। उन्होंने ट्वीट किया, यूपी बिहार के उपचुनाव के नतीजों ने हमारे लोगों को यह अहसास करा दिया होगा कि सीटबेल्ट बांधनी होगी। आगे कठिन समय है। उम्मीद है कि भविष्य में हम इस संकट से निपट सकेंगे। जितनी जल्दी हम इस समस्या को हल कर सकेंगे बेहतर होगा। ये नतीजे बताते हैं, इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।
जबकि भाजपा के ही पूर्व सांसद और 2014 में आजमगढ़ में सपा नेता मुलायम सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले रमाकांत यादव ने भी राज्य सरकार पर सीधा हमला किया है। उन्होंने कहा, हार में बड़ी भूमिका राज्य सरकार की दलित और ओबीसी समुदाय के प्रति लापरवाह रुख की रही।
यादव ने कहा कि अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो 2019 के आम चुनाव में राह मुश्किल होगी। कौशांबी के भाजपा सांसद विनोद कुमार सोनकर ने विपरीत नतीजों के लिए स्थानीय नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा, उपचुनाव के दौरान स्थानीय नेता दलितों तक पहुंचे ही नहीं, जिसका खामियाजा भुगतना पड़ा।