32 लाख डेबिट कार्ड का डाटा चोरी होने के मामले में अब तक दर्ज नहीं हुआ कोई FIR, डिजिटल अर्थव्यवस्था पर उठे सवाल

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आपको याद होगा कि पिछले साल अक्टूबर महीने में एटीएम ऑपरेटर हिटाची पेमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के सिस्टम पर मैलवेयर हमला हुआ था। यह कंपनी भारत में कई बैंकों को सेवाएं प्रदान करती है। इस हमले से देश भर के करीब 32 लाख बैंक ग्राहकों के डेबिट कार्ड प्रभावित हुए थे। कई लोगों को अपने एटीएम पिन बदलने पड़े थे और बैंक ग्राहकों में अफरातफरी मच गई थी।इस घटना की वजह से देश के सबसे बड़े साइबर सुरक्षा खतरों में से एक उत्पन्न हो गया था, जिससे 32 लाख डेबिट कार्डों की सुरक्षा प्रभावित हुई थी और इसने कार्ड आधारित लेन-देन की सुरक्षा पर प्रश्न चिन्ह खड़े किए थे। जिन बैंकों के ग्राहकों के डेटा चोरी हुए थे उनमें SBI, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, येस बैंक और एक्सिस बैंक शामिल थे।

फिलहाल, एसबीआई ने छह लाख कार्डों को वापस ले लिया है, जबकि पीड़िता बैंकों के अलावा बैंक ऑफ बड़ौदा, आईडीबीआई बैंक, सेंट्रल बैंक और आंध्रा बैंक जैसे अन्य बैंकों ने भी अपने प्रभावित डेबिट कार्डों को बदल दिया है। वहीं, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और येस बैंक ने अपने ग्राहकों से एटीएम पिन नंबर बदलने के लिए कहा है।

जबकि, एचडीएफसी बैंक ने अपने ग्राहकों को सलाह दी है कि कोई भी लेनदेन करने के लिए अपने स्वयं एटीएम का उपयोग करें। बता दें कि एटीएम ऑपरेटर हिटाची पेमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के सिस्टम पर जो मैलवेयर अटैक हुआ था, यह कंपनी भारत में कई बैंकों को सेवाएं देती है।

अब तक दर्ज नहीं हुआ FIR

जब यह सनसनीखेज खुलासा हुआ था उस वक्त डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने वाली सरकार ने इसे सुरक्षा का उल्लंघन बताया था। हालांकि, इससे भी अधिक खतरनाक एक नया रहस्योद्घाटन यह हुआ है कि 30 लाख से अधिक डेबिट कार्डों के इस आश्चर्यजनक सुरक्षा उल्लंघन मामले में अभी तक कोई FIR तक दर्ज नहीं हुआ है।

जी हां, सूचना का अधिकार(आरटीआई) के तहत पूछे गए सवाल के जवाब में भारत सरकार द्वारा बताया गया है कि इस मामले में अभी तक किसी के खिलाफ केस दर्ज नहीं किया गया है। आरटीआई कार्यकर्ता नीरज शर्मा द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में बताया गया है कि एटीएम ऑपरेटर हिटाची पेमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा इस मामले की जांच की गई थी और बाद में यह आरबीआई को सौंप दिया गया था।

दिल्ली स्थित आरटीआई कार्यकर्ता नीरज शर्मा ने ‘जनता का रिपोर्टर’ को बताया कि डिजिटल भारत बिना डिजिटल सुरक्षा के भारत के लिए अच्छा नहीं है। सरकार को सुरक्षा उपायों के बिना लोगों को डिजिटल लेनदेन की ओर धकेलना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा, आरटीआई के जवाब में यह भी पता चला है कि आरबीआई के पास अपने डिजिटल फोरेंसिक विशेषज्ञ तक नहीं हैं, जो पूरी तरह से जांच कर सकते हैं।

आरबीआई फॉरेंसिक जांच पर निजी कंपनियों पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि सरकार को जिम्मेदार लोगों को पकड़ने और उन पर मुकदमा चलाने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए। सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में इन घटनाओं को दोहराया नहीं जाएगा।

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