समाचार चैंनल ‘एनडीटीवी इंडिया’ के मशहूर एंकर और भारत के वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने अपने फेसबुक पेज पर एक वायरल वीडियो शेयर कर ‘रिपब्लिक टीवी’ के संस्थापक अर्नब गोस्वामी पर निशाना साधा हैं। रवीश कुमार ने अर्नब गोस्वामी पर किसान आंदोलन से संबंधित टूलकिट मामले में 22 वर्षीय पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि की गिरफ्तारी पर गलत तरह से रिपोर्टिंग करने और झूठ फैलाने का आरोप लगाते हुए तंज कसा है। इसके साथ ही उन्होंने गोदी मीडिया पर भी निशाना साधा हैं।
रवीश कुमार ने अपने फेसबुक पेज पर एक वायरल वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “गोदी मीडिया आपके समाज के मूल स्वभाव और लोकतंत्र के मूल्यों की हत्या कर रहा है। न्यूज़ चैनल करोड़ों लोगों तक पहुँचता है। आप देख सकते हैं कि किस तरह की पत्रकारिता हो रही है और इससे क्या लाभ है? क्या धर्म की राजनीति इस लिए हो रही है कि इस राजनीति के सामने सत्य का धर्म काँपने लगे? उसकी हत्या हो जाए? धर्म क्या हमें यही बताता है कि झूठ की ही सत्ता रहेगी ? तब निश्चित रूप से ये धर्म नहीं है। अधर्म है।”
रवीश कुमार ने अर्नब गोस्वामी पर तंज कसते हुए अपने पोस्ट में आगे लिखा, “यह एंकर कितना चिल्लाता है। गर्मी आ रही है। इन्हें बेल का शर्बत पीने के लिए कहिए। ऐसा क्या हो गया है कि इतना चिल्ला रहे हैं। सड़क पर भारत इनकी तरह बोलने लगे तो ध्वनि प्रदूषण से लोग मरने लगेंगे। भाई प्यार से बोल लो। झूठ ही तो बोलना है। सबको पता है। फिर काहे कूद रहे हैं चिल्ला रहे हैं कि पूछता है भारत। भारत पूछने वालों को जान गया है। कहने सुनने की संस्कृति अच्छी होनी चाहिए। थोड़ा ऊँचा बोल लीजिए लेकिन इतना मत चिल्लाइये कि स्पीकर का चदरा फट जाए। दो लाइन सुनकर कपार झनझना गया। लोग सुनते कैसे हैं?”
एनडीटीवी के एंकर ने अपने पोस्ट में आगे लिखा, “व्हाट्स एप यूनिवर्सिटी के ग्रुप में जितने रिश्तेदार इस तरह की फ़ालतू बात करते हैं उनके काम के नीचे इस एंकर का ऑडियो फुल भोलूम में बजा दीजिए, भाई साहब अगले दिन से गुडमार्निंग मैसेज पोस्ट करने नहीं आएँगे।”
रवीश कुमार का यह फेसबुक पोस्ट अब सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, उनके इस पोस्ट पर यूजर्स भी जमकर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। कुछ यूजर्स रवीश की बातों से सहमति जता तो कुछ अर्नब गोस्वामी का समर्थन कर रहे हैं।
गौरतलब है कि, दिल्ली के एक सत्र न्यायालय के न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने दिशा रवि को ज़मानत दी थी। जमानत देते हुए अदालत ने जिन सवालों को खड़ा किया है, उसने मौजूदा केंद्र सरकार, भाजपा, उसके सहयोगी संगठनों और मीडिया के एक तबके को सीधे कठघरे में खड़ा कर दिया।
बता दें कि, दिल्ली पुलिस ने दिशा रवि को जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग द्वारा साझा किए गए किसानों के आंदोलन का समर्थन करने वाले ‘टूलकिट’ मामले में 13 फरवरी को बेंगलुरू से गिरफ्तार किया था। दिशा रवि की गिरफ़्तारी के बाद विपक्षी नेताओं ने सरकार की आलोचना की थी। उनके साथ ही पर्यावरण के लिए काम करने वाले लोग और नागरिक संगठनों से जुड़े लोग भी दिशा के समर्थन में आ गए थे।