एक अध्ययन में रविवार(30 अगस्त) को खुलासा हुआ है कि 51 सांसदों और विधायकों ने महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों की घोषणा की है, जिनमें कथित दुष्कर्म और अपहरण जैसे गंभीर मामले भी शामिल हैं। बता दें कि यह खुलासा ऐसे समय हुआ है कि जब देशभर में बलात्कारी बाबा गुरमीत राम रहीम के मामले की चर्चा हो रही है।
चुनाव सुधारों के लिये काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन(NGO) एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा किये गये एक अध्ययन में कहा गया कि 51 माननीयों में से 48 विधानसभाओं के सदस्य (विधायक) हैं और तीन संसद के सदस्य (सांसद) हैं।
पार्टीवार विवरण देते हुये अध्ययन में कहा गया कि विभिन्न मान्यता प्राप्त दलों में भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) के विधायकों सांसदों की संख्या सबसे ज्यादा 14 है, इसके बाद शिवसेना सात, ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस 6 के नेताओं का नंबर आता है, जिन्होंने महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े मामलों की घोषणा की है।
एडीआर रिसर्च के मुताबिक, 51 सांसद और विधायक हैं, जिन्होंने अपने खिलाफ दायर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों की घोषणा की है। इनमें हमला या महिला की गरिमा भंग करने के उद्देश्य से आपराधिक बल का इस्तेमाल, अपहरण, महिला को शादी के लिये बाध्य करना, दुष्कर्म, महिला से क्रूरता, देह व्यापार के लिये नाबालिग की खरीद-फरोख्त, महिला का अपमान करने के उद्देश्य से हावभाव का प्रदर्शन शामिल हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं के खिलाफ आपराधिक छवि वाले सबसे ज्यादा सांसद-विधायक 12 महाराष्ट्र में हैं, जबकि दूसरे और तीसरे नंबर पर क्रमश: पश्चिम बंगाल और ओडिशा में हैं। अब सवाल यह उठ रहा है कि जब संसद और विधानसभा में कानून बनाने वाले हमारे माननीयों का यह हाल तो महिलाओं की सुरक्षा का क्या होगा?