‘जनता का रिपोर्टर’ द्वारा राफेल सौदे में कथित अनियमितताओं का विशेष रूप से खुलासा करने के एक साल से अधिक समय बाद एक नए दस्तावेज़ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्यक्तिगत भागीदारी को निर्णायक रूप से साबित कर दिया है। नए खुलासे से साबित हो गया है कि प्रधानमंत्री ने अलग से राफेल मामले पर सौदेबाजी में लिया हिस्सा था।
राफेल डील पर एक अखबार में छपी रिपोर्ट पर संग्राम छिड़ा है। रिपोर्ट में तत्कालीन रक्षा सचिव के एक नोटिंग के हवाले से दावा किया गया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय इस मामले में समानांतर बातचीत कर रहा था। इस नए खुलासे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर से विपक्ष पार्टियों के निशाने पर आ गई है। इसी बीच, डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने राफेल सौदे पर रक्षा मंत्रालय के असंतुष्टि नोट को लेकर मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा किया है।
समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक एमके स्टालिन ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “पीएम मोदी सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के दायरे में आ गए हैं। सुप्रीम कोर्ट को दिए बंद लिफाफे में केंद्र ने पीएमओ की किसी सौदेबाजी का जिक्र नहीं किया। आजाद भारत में कभी कोई प्रधानमंत्री इस तरह के गंभीर आरोपों से नहीं घिरा है।”
DMK President MK Stalin on MoD's dissent note on Rafale negotiations: PM Modi has come under Supreme Court's contempt. In its sealed envelope to SC, centre never mentioned PMO's negotiations. Never ever in independent India, a Prime Minister was caught in such serious allegations pic.twitter.com/DZXoHSDpxG
— ANI (@ANI) February 8, 2019
दरअसल, अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि राफेल डील के लिए रक्षा मंत्रालय फ्रांस सरकार से डील कर रहा था। लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने दखल दिया जिससे फ्रांस को फायदा मिला। पीएमओ की दखल का रक्षा मंत्रालय ने विरोध किया था, उसके बावजूद फ्रांस से राफेल डील हुई। अखबार ने रक्षा मंत्रालय का एक कथित आंतरिक नोट शेयर किया है जिसमें यह आपत्ति दर्ज है।
रक्षा मंत्रालय के नोटस में कहा गया है कि इस समानांतर सौदेबाजी की वजह से रक्षा मंत्रालय और भारतीय सौदेबाजी दल की सौदेबाजी की ताकत कम होती है। द हिन्दू अखबार के अनुसार रक्षा मंत्रालय की यह नोट 24 नवंबर 2015 को लिखा गया था। यह नोट जिस समय लिखा गया उस समय मनोहर पर्रिकर देश के रक्षा मंत्री थे। बता दें कि मनोहर पर्रिकर नवंबर 2014 से मार्च 2017 तक रक्षा मंत्री रहे थे।
दि हिन्दू ने दावा किया है कि उसके पास मौजूद दस्तावेज के अनुसार तत्कीलन रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखित तौर पर कहा था कि इस सौदे में पीएमओ का रुख रक्षा मंत्रालय से बिल्कुल उलट है। दि हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार यह रिपोर्ट तत्कालीन रक्षा सचिव जी मोहन कुमार ने खुद लिखा था।
राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीधा पीएम मोदी पर साधा निशाना
इसी रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार(8 फरवरी) को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीधा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। राहुल गांधी ने कहा कि हम कई सालों से कह रहे हैं कि राफेल घोटाले में प्रधानमंत्री सीधे तौर पर शामिल हैं। हिंदू अखबार का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इस खबर ने प्रधानमंत्री की पोल खोल दी।
राहुल गांधी ने सेना के जवानों का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 हजार करोड़ रुपये की चोरी की और उसे अनिल अंबानी की जेब में डाल दिया। उन्होंने कहा कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति होलांद ने कहा था उनसे कि पीएम मोदी ने खुद उनसे डील की बात की थी। इसे मंत्रालय ने भी स्पष्ट कर दिया है, राफेल पर हमारी बात सच साबित हुई।
‘जनता का रिपोर्टर’ ने किया था खुलासा
गौरतलब है कि ‘जनता का रिपोर्टर’ ने राफेल सौदे को लेकर तीन भागों (पढ़िए पार्ट 1, पार्ट 2 और पार्ट 3 में क्या हुआ था खुलासा) में बड़ा खुलासा किया था। जिसके बाद कांग्रेस और राहुल गांधी यह आरोप लगाते आ रहे हैं कि मोदी सरकार ने फ्रांस की कंपनी दसाल्ट से 36 राफेल लड़ाकू विमान की खरीद का जो सौदा किया है, उसका मूल्य पूर्ववर्ती यूपीए सरकार में विमानों की दर को लेकर बनी सहमति की तुलना में बहुत अधिक है। इससे सरकारी खजाने को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
कांग्रेस का आरोप है कि सरकार हर विमान को 1670 करोड़ रुपये से अधिक की कीमत पर खरीद रही है, जबकि संप्रग सरकार के दौरान 526 करोड़ रुपये प्रति विमान की दर से 126 राफेल विमानों की खरीद की बात चल रही थी। साथ ही पार्टी ने यह भी दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सौदे को बदलवाया जिससे सरकारी उपक्रम हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से ठेका लेकर रिलायंस डिफेंस को दिया गया।