जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के लापता छात्र नजीब अहमद को ढूंढ पाने में देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) भी नाकाम साबित हुई है। करीब दो साल से लापता नजीब का पता लगाने में नाकाम देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी अब इस मामले को बंद करने की तैयारी में है। हाई कोर्ट में 4 सितंबर को सीबीआई ने यह जानकारी दी थी। सीबीआई ने कहा था उसने अब इस मामले को बंद करने के लिए क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने का फैसला किया है।
इस बीच नजीब से जुड़ा एक और हैरान करने वाला मामला सामने आया है। लापता छात्र नजीब अहमद के बाद अब उससे जुड़े एक मामले की अहम फाइल भी कथित तौर पर कोर्ट से गायब हो गई है। दरअसल, नजीब अहमद की मां फातिमा नफीस ने देश के प्रमुख मीडिया संस्थान टाइम्स गुप (टाइम्स ऑफ इंडिया) और इंडिया टुडे ग्रुप (मेल टुडे) सहित भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ता सौरभ शर्मा के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट में आपराधिक मानहानि का केस किया है।
फातिमा नफीस का आरोप है कि इन तीनों ने नजीब के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण आरोप लगाते हुए बेबुनियाद खबर फैलाई थी। फातिमा का आरोप है कि इन मीडिया संस्थानों (टाइम्स और इंडिया टुडे ग्रुप) ने कथित तौर पर नजीब को एक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन (ISIS) से संबंध होने की फर्जी खबर चलाई थी। जबकि दिल्ली पुलिस ने इन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया था। इस मामले में शुक्रवार (14 सितंबर) को पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई होनी थी, लेकिन हैरानी की बात यह है कि कोर्ट से इस केस की फाइल ही गायब हो गई है। यह मामला तीन महीने बाद आज सूचीबद्ध किया गया था।
फातिमा की मां के वकील वीके ओहरी ने ‘जनता का रिपोर्टर’ से बातचीत में इसकी पुष्टि की है। फोन पर बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, “कोर्ट में आज (शुक्रवार) इस मामले में गवाही होनी थी, लेकिन पता चला कि कोर्ट के अंदर से फाइल ही गायब हो गया है। दरअसल, टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें दावा किया था कि नजीब ने आतंकी संगठन ISIS ज्वाइन कर ली है। बाद यह रिपोर्ट फर्जी निकली, जबकि इस रिपोर्ट से उनका (नजीब) सारा जीवन बर्बाद हो गया। जिसके बाद इस मामले में आपराधिक मानहानि का केस दर्ज किया गया है। लेकिन अब फाइल ही गायब करवा दिया गया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की तरह इंडिया टुडे ग्रुप के अखबार मेल टुडे ने भी एक रिपोर्ट छापी थी जिसमें बताया गया था कि नजीब ISIS में शामिल हो गया है। इस मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर तय की गई है। कोर्ट से फाइल का गुम होना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।”
क्या है मामला?
दरअसल, 21 मार्च 2017 को अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ़ इंडिया में पत्रकार राज शेखर झा ने एक रिपोर्ट छापी थी कि नजीब अहमद आईएस से जुड़ने की फिराक में था, क्योंकि पुलिस ने उसके लैपटॉप की ब्राउजिंग हिस्ट्री में यह पाया कि वह आईएस से संबंधित जानकारी जुटा रहा था।
झा ने अपने रिपोर्ट में दावा किया था कि गूगल और यूट्यूब द्वारा दिल्ली पुलिस को मुहैया कराई गई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ था कि लापता होने से पहले नजीब आईएस की विचारधारा, नेटवर्क, कार्यप्रणाली, जुड़ने के तरीके की जानकारी जुटा रहा था। जबकि उसी दिन दिल्ली पुलिस ने पत्रकार रवि शेखर झा कि रिपोर्ट को खारिज कर उन्हें बेनकाब कर दिया।
जिसके बाद मुख्य और तीसरे पृष्ठ पर 600 शब्दों में फर्जी रिपोर्ट छापने वाले टाइम्स ऑफ इंडिया ने अगले दिन यानि 22 मार्च 2017 को अखबार के पांचवें पेज पर एक कोने में मात्र 100 शब्दों का भूल सुधार छाप कर अपना कोटा पूरा कर दिया। जबकि उसी फर्जी रिपोर्ट के आधार पर कई राष्ट्रीय न्यूज चैनलों ने नजीब को आतंकी घोषित कर दिन भर न्यूज चलाते रहे। याचिकाकर्ता के वकील का आरोप है कि ऐसा ही एक रिपोर्ट कथित तौर पर इंडिया टुडे ग्रुप के अखबार मेल टुडे में भी प्रकाशिक हुई थी।