मेघालय हाई कोर्ट के जज एस आर सेन द्वारा भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की अपील करने के बाद से सियासी खेमों में हलचल पैदा हो गई है। उनके इस टिप्पणी पर एक नया विवाद पैदा हो गया है। उनके इस टिप्पणी पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने उनके खिलाफ सख्त और तत्काल कार्रवाई की मांग की और कहा कि वह न्यायाधीश बनने के लिए उपयुक्त नहीं है। साथ ही उन्होंने कॉलेजियम पर भी सवाल उठाया और कहा कि आखिर ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति इतने जिम्मेदार पद पर कैसे की गई। उन्होंने यह भी कहा कि जज को यह जानना चाहिए कि संविधान की मौलिक संरचना धर्मनिरपेक्षता है।
हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट करते हुए लिखा, न्यायाधीश को पता होना चाहिए कि धर्मनिरपेक्षता संविधान का मूल संरचना है जिसका उनके फैसले से उल्लंघन हुआ है। साथ ही उन्होंने कहा कि, न्यायाधीश होने के लिए वह फिट नहीं है, एसटीटीटी को घर की कार्यवाही शुरू करनी होगी। साथ ही उन्होंने कॉलेजियम पर भी सवाल उठाया और कहा कि आखिर ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति इतने जिम्मेदार पद पर कैसे की गई। उन्होंने यह भी कहा कि जज को यह जानना चाहिए कि संविधान की मौलिक संरचना धर्मनिरपेक्षता है।
1 Judge should know that Secularism is Basic Structure Of Constitution which his judgment has violated
2 Lordship should know Judgments are not shown to PM of the day
3 Not Fit to be Judge ,Sctt must start in-house proceeding’s
4Collegium -How did they select such a person https://t.co/vbJ6ilNNIC— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) December 13, 2018
ओवैसी ने कहा कि न्यायमूर्ति सेन संविधान की किताब पर शपथ लेने के बाद भी इस तरह के फैसले को नहीं दे सकते। ओवैसी ने कहा कि भारत कभी भी इस्लामी देश नहीं बन सकता क्योंकि न्यायाधीश ने अपने फैसले में डरा दिया है। उन्होंने कहा, भारत एक धर्मनिरपेक्ष और बहुवचन देश है और हमेशा रहेगा। मेघालय उच्च न्यायालय का यह किस तरह का निर्णय है? क्या न्यायपालिका नोटिस लेगी? क्या सरकार नोटिस लेगी? भारत में नफरत फैलाने के प्रयास कैसे किए जा रहे हैं।
ओवैसी ने एक अन्य ट्वीट करते हुए कहा, उनका एक ही काम था कि जिस संविधान के जरिए वे जज बने हैं उसे पढ़ें। लेकिन उन्होंने मित्रों के लिए गाना गाने का रास्ता चुना। यह फैसला कानून और संविधान विशेषज्ञ द्वारा लिखे गए किसी कागजात के बजाय व्हॉट्सऐप पर भेजे गए किसी मैसेज जैसा लग रहा है।
His Honour had one job: to READ the Constitution by which he was made a judge. Instead, he's chosen to sing paens for Mitron. This judgment looks more like a Whatsapp forward than a document written by someone trained in rule of law & Constitution.https://t.co/Urj1n7uFSA
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) December 12, 2018
मेघालय हाई कोर्ट के जज की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि, ‘भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और हमेशा रहेगा। जो लोग कुछ और कहना चाहते हैं, वह कह सकते हैं क्योंकि यह एक लोकतांत्रिक देश है लेकिन इससे कोई अंतर नहीं पड़ेगा।
Farooq Abdullah on Meghalaya HC's Justice SR Sen's remark 'India should've declared itself a Hindu country': It's a secular country, will remain secular & those who want to talk anything else, it's a democratic nation, they can say what they like, but it won't make any difference pic.twitter.com/CmL88pr4mj
— ANI (@ANI) December 13, 2018
बता दें कि मेघालय हाई कोर्ट के जज एस आर सेन ने टिप्पणी की थी, ‘जैसा कि हम सब जानते हैं कि भारत विश्व का सबसे बड़ा देश था। पहले यह पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में नहीं बंटा हुआ था। पहले ये सब एक ही देश था और इनका नेतृत्व हिंदू साम्राज्य करता था लेकिन फिर भारत में मुगल आए और उन्होंने अलग-अलग हिस्सों पर कब्जा कर लिया और देश पर राज करना शुरू कर दिया। इस दौरान जबरन लोगों का धर्म परिवर्तन करवाया गया।’
इसके साथ ही जस्टिस ने कहा, ‘इसके बाद अंग्रेज ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम पर भारत आए और राज करना शुरू कर दिया। उन्होंने जब भारत के लोगों पर अत्याचार करना शुरू किया तो स्वतंत्रता आंदोलन शुरू हुआ। साल 1947 में भारत को आजादी मिली और यह दो देशों पाकिस्तान और भारत में बंट गया। पाकिस्तान ने खुद को इस्लामिक देश घोषित कर लिया और भारत का बंटवारा धर्म के नाम पर हुआ है तो इसे हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए था, लेकिन यह एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बना रहा।’
उन्होंने साफ कहा कि किसी को भी भारत को इस्लामिक देश के रूप में बदलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, वरना यह भारत ही नहीं, दुनिया के लिए भी ‘कयामत का दिन’ होगा। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि केवल नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ही इसकी गंभीरता को समझ सकती है और इसके लिए जरूरी कदम उठा सकती है।
सेन ने कहा कि इस तरह के कानून बनाए जाने चाहिए कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आने वाले हिन्दू, सिख, जैन, बौद्ध, खासी और गारो समुदाय के लोगों को भारत में रहने की अनुमति मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि इन देशों में रहने वाले उक्त समुदाय के लोगों का मूल भारत से ही है और इसलिए उन्हें यहां की नागरिकता देनी चाहिए।