केरल के एक पिता ने अपनी बेटी और नाबालिग नवासी (पोती) के प्रत्यर्पण और प्रत्यावर्तन के लिए आवश्यक कार्यवाही के लिए निर्देश देने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की है, जो कि फिलहाल अफगानिस्तान की एक जेल में बंद हैं।
समाचार एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ता का कहना है कि अमेरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान और अफगानिस्तान इस्लामी गणराज्य के बीच युद्ध छिड़ सकता है और अगर ऐसी स्थिति हुई तो उनकी बेटी जैसे विदेशी आतंकी लड़ाकों को फांसी पर लटकाया जा सकता है। वी. जे. सेबेस्टियन फ्रांसिस द्वारा दायर याचिका के अनुसार, उनकी बेटी सोनिया सेबेस्टियन और नाबालिग नवासी के प्रत्यर्पण की मांग की जा रही है, जिन्होंने जुलाई 2016 में अफगानिस्तान में आईएसआईएस में शामिल होने के इरादे से भारत छोड़ दिया था, क्योंकि उनकी बेटी के पति ने अन्य लोगों के साथ आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के दष्टिकोण का प्रचार एशियाई राष्ट्रों के खिलाफ युद्ध करने का फैसला किया था।
याचिका में कहा गया है कि यह मुद्दा अत्यावश्यक है, क्योंकि अमेरिकी सैनिकों के बाहर निकलने के बाद अफगानिस्तान में राजनीतिक और प्रशासनिक रूप से काफी बदलाव होने जा रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि केंद्र द्वारा बंदियों के प्रत्यर्पण की सुविधा नहीं देना अवैध और असंवैधानिक है और संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
आयशा के भारत छोड़ने के बाद उसके खिलाफ सख्त आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए दर्ज किया गया था और इंटरपोल ने मार्च 2017 में उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया था। याचिका में कहा गया है कि भारत सरकार को उसकी बेटी और नवासी के प्रत्यर्पण के लिए कदम उठाना चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि अफगानिस्तान पहुंचने के बाद आयशा का पति युद्ध में मारा गया। यह कहा गया है कि याचिकाकर्ता की बेटी और नवासी केवल उनके दामाद के साथ थीं और सक्रिय रूप से लड़ाई में शामिल नहीं थीं। उनकी मृत्यु के बाद 2019 में उन्हें अफगान बलों के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा।