कर्नाटक का जारी सियासी ‘नाटक’ खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। मुख्यमंत्री कुमारस्वामी को राज्यपाल द्वारा दी गई बहुमत साबित करने की एक और डेडलाइन खत्म हो गई है। राज्यपाल वजुभाई वाला की ओर से मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी को कर्नाटक विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए शुक्रवार दोपहर 1:30 बजे के बाद दोबारा शाम 6 बजे की समय सीमा दिया गया था, लेकिन कुमारस्वामी निर्धारित समय तक बहुमत साबित नहीं कर सके। इस बीच सीएम ने राज्यपाल के दखल को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उन्होंने राज्यपाल के पत्र के खिलाफ चुनौती दी है, जिसमें कहा गया था कि शुक्रवार दोपहर 1.30 बजे विश्वास मत पूरा करें।
सीएम कुमारस्वामी ने दावा किया है कि जब विश्वास मत पर कार्यवाही चल रही है तो राज्यपाल वजूभाई वाला विश्वास मत पर कोई निर्देश नहीं दे सकते। कुमारस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि अविश्वास प्रस्ताव पर बहस किस तरह से हो इसे लेकर राज्यपाल सदन को निर्देशित नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के निर्देश शीर्ष अदालत के पूर्व के फैसले के पूरी तरह विपरीत है।
Karnataka Chief Minister, H D Kumaraswamy has also moved the Supreme Court and challenged the
Governor's letter which had asked him to complete the trust vote by 1.30 pm today pic.twitter.com/rvgOc3VQfM— ANI (@ANI) July 19, 2019
राज्यपाल ने सीएम को पत्र लिखा था और शुक्रवार दोपहर डेढ़ बजे तक बहुमत साबित करने को कहा था। उसके बाद कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने सीएम कुमारस्वामी को एक बार फिर पत्र लिखकर शुक्रवार शाम 6 बजे तक बहुमत साबित करने को कहा। लेकिन राज्यपाल द्वारा दूसरी बार तय की गई डेडलाइन के बीत जाने के बाद भी बहुमत परीक्षण नहीं हुआ है।
Karnataka Governor Vajubhai Vala sends letter to Chief Minister HD Kumaraswamy to prove majority before 6 pm, today. #Karnataka pic.twitter.com/ucjypTE8iy
— ANI (@ANI) July 19, 2019
शुक्रवार को राज्यपाल द्वारा दिए गए समयसीमा के अंदर गठबंधन सरकार की ओर से बहुमत साबित नहीं करने के बाद विपक्ष हावी हो गया और विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराने की मांग उठी। विपक्षी भाजपा नेता बी. एस. येदियुरप्पा के कहा कि मुख्यमंत्री शुक्रवार दोपहर 1:30 बजे तक बहुमत साबित करने में विफल रहे हैं। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार से फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की। विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा पूरी होने से पहले हालांकि, अध्यक्ष ने फ्लोर टेस्ट से इनकार कर दिया।
यहां तक कि समय सीमा के करीब होने के बावजूद, सत्तारूढ़ गठबंधन ने राज्यपाल की शक्ति पर सवाल उठाया, जिसमें कुमारस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि राज्यपाल विधानमंडल के लोकपाल के रूप में कार्य नहीं कर सकते। कुमारस्वामी ने कहा कि वह राज्यपाल की आलोचना नहीं करेंगे और अध्यक्ष के आर रमेश कुमार से यह तय करने का अनुरोध करता हूं कि क्या राज्यपाल को इसके लिए समय सीमा तय करने का अधिकारी है या नहीं।
जैसे ही सत्ता पक्ष ने राज्यपाल के निर्देश पर आपत्ति जताई, कांग्रेस सदस्यों ने नारे लगाए, ‘‘राज्यपाल वापस जाओ।’’ जब समय सीमा समाप्त हो गई, तब भाजपा नेता बी एस येदियुरप्पा खड़े हुए और मुख्यमंत्री द्वारा पेश किए गए विश्वास मत पर वोट कराने के लिए दबाव डाला। अध्यक्ष ने कहा कि प्रक्रिया का पालन किया जाना है। चर्चा के बाद नियमों के अनुसार, अगर जोर दिया गया, तो इस पर मतदान कराया जाएगा। इसके बाद हंगामे के बीच, सदन को तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
मुश्किल में कुमारस्वामी सरकार
सत्ताधारी गठबंधन के 16 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद राज्य में सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। बागी विधायकों में से 12 फिलहाल मुंबई के एक होटल में ठहरे हुए हैं। सत्ताधारी गठबंधन की कुल क्षमता 117- कांग्रेस 78, जद(एस) 37, बसपा-1 और नामित-1- हैं। इसके अलावा अध्यक्ष हैं। दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन के साथ विपक्षी भाजपा के पास 107 विधायक हैं।
कर्नाटक विधानसभा में एक नामित सदस्य और विधानसभा अध्यक्ष समेत कुल 225 सदस्य हैं। अगर 15 विधायकों (12 कांग्रेसी और तीन जद(एस) से) के इस्तीफे स्वीकार किए जाते हैं तो सत्ताधारी गठबंधन की संख्या घटकर 101 रह जाएगी और सरकार अल्पमत में आ जाएगी। अब यह कहा जा सकता है कि कुमारस्वामी सरकार बचेगी या जाएगी, यह अब बागी विधायक ही तय करेंगे।