जनता दल यूनाईटेड (JDU) ने बुधवार को अपने उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर एवं महासचिव पवन वर्मा को पार्टी से निष्कासित कर दिया और कहा कि हाल के दिनों में उनके आचरण ने यह स्पष्ट किया है कि वे पार्टी के अनुशासन का पालन नहीं करना चाहते हैं। दोनों नेता नागरिकता (संशोधन) कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनपीआर) को लेकर पार्टी अध्यक्ष एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समर्थन के कारण उनकी आलोचना करते रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से कई मुद्दों को लेकर नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर के बीच जुबानी जंग जारी थी।
जदयू के मुख्य महासचिव के सी त्यागी द्वारा जारी बयान के अनुसार दोनों नेताओं का आचरण ‘‘पार्टी के फैसलों के साथ-साथ उसकी कार्यपद्धति के खिलाफ’’ था, जो अनुशासन का उल्लंघन है। पार्टी ने किशोर पर बिहार के मुख्यमंत्री के खिलाफ ‘‘अपमानजनक शब्दों’’ के इस्तेमाल का भी आरोप लगाया।
कुमार ने मंगलवार को किशोर के आलोचनात्मक बयान की निंदा की थी और कहा था कि उन्होंने गृह मंत्री एवं पूर्व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के कहने पर उन्हें पार्टी में शामिल किया था। किशोर ने इस पर गुस्से में प्रतिक्रिया दी और कुमार पर झूठ बोलने का आरोप लगाया। जदयू ने कहा कि यह जरूरी है कि किशोर को पार्टी से बाहर कर दिया जाए ताकि वह और निचले स्तर पर न गिरें।
JD(U) leaders Prashant Kishor and Pavan Varma have been expelled from the party for indulging in 'anti party activities'. pic.twitter.com/9U37LkrjZC
— ANI (@ANI) January 29, 2020
Thank you @NitishKumar. My best wishes to you to retain the chair of Chief Minister of Bihar. God bless you.??
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) January 29, 2020
बता दें कि, प्रशांत किशोर दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) के लिए काम कर रहे हैं। वे नागरिकता संशोधन कानून को जद (यू) के समर्थन दिए जाने से खासे नाराज हैं। सीएए, एनआरसी और एनपीआर को लेकर प्रशांत लगातार भाजपा और उसके नेताओं पर निशाना साध रहे हैं। बिहार में जद (यू) और भाजपा के गठबंधन की सरकार है। प्रशांत के कई बयानों के बाद नीतीश खुद भी असहज हो जा रहे हैं। (इंपुट: भाषा के साथ)