सरकारी काम से लेकर टैक्स फाइल करने तक के लिए अब हर काम में आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया गया है। लेकिन क्या आधार कार्ड किसी शख्स की जान भी ले सकता है? जी हां, यह सोचकर ही आपका कलेजा कांप उठेगा लेकिन झारखंड के सिमडेगा जिले में तो कम से कम ऐसा ही मामला सामने आया है। जहां 11 साल की एक मासूम लड़की सिर्फ इसलिए भूख से तड़प-तड़प कर मर गई, क्योंकि उसका परिवार राशन कार्ड को आधार से लिंक नहीं करा पाया था।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़िता परिवार को पीडीएस स्कीम के तहत गरीबों को मिलने वाला राशन पिछले कई महीनों से नहीं मिल पा रहा था। भुखमरी के हालात बनने पर संतोषी कुमारी नाम की इस लड़की ने दम तोड़ दिया। खाद्य सुरक्षा को लेकर काम करने वाली एक संस्था ने इस शर्मनाक घटना का खुलासा किया है।
संस्था के मुताबिक, बीते 28 सितंबर को संतोषी की मौत इसलिए हो गई, क्योंकि घर पर पिछले आठ दिन से राशन ही नहीं था। संतोषी की मां कोइली देवी ने संस्था के सदस्यों को बताया कि आधार कार्ड लिंक नहीं होने की वजह से गांव के डीलर ने उन्हें फरवरी से ही राशन देना बंद कर दिया था।
बीबीसी हिंदी के मुतबिक, करीमति गांव की रहने वाली संतोषी के परिवार के पास न तो जमीन है, न कोई नौकरी और न ही कोई स्थायी आमदनी है, जिसके कारण उसका परिवार पूर्ण रूप से सरकार की तरफ से मिलने वाले राशन पर ही निर्भर था। संतोषी अपने परिवार के साथ सिमडेगा जिले के कारीमाटी गांव में रहती थी। करीब 100 घरों वाले इस गांव में इसमें कई जातियों के लोग रहते हैं। संतोषी पिछड़े समुदाय की थीं।
हालांकि जलडेगा के प्रखंड विकास पदाधिकारी संजय कुमार कोंगारी ने इससे इनकार किया है कि संतोषी की मौत भूख की वजह से हुई। उनके मुताबिक लड़की की मौत मलेरिया से हुई है। लेकिन उन्होंने यह माना कि संतोषी के परिवार का नाम आधार से लिंक नहीं होने की वजह से पीडीएस के लाभार्थियों की सूची से बाहर कर दिया गया था।
स्कूल के मिड-डे मील से किसी तरह संतोषी को दोपहर में खाना मिल रहा था। लेकिन दुर्गा पूजा की छुट्टियां होने की वजह से स्कूल बंद था, जिससे उसे कई दिन तक भूखा रहना पड़ा और उसकी जान चली गई। BBC के मुताबिक संतोषी के पिताजी हमेशा बीमार रहते हैं, जिस वजह से कोई काम नही करते। ऐसे में घर चलाने की जिम्मेवारी उसकी मां कोइली देवी और बड़ी बहन पर थी।
वे कभी दातून बेचतीं, तो कभी किसी के घर में काम कर लेतीं। लेकिन, पिछड़े समुदाय से होने के कारण उन्हें आसानी से काम भी नहीं मिल पाता था। बीबीसी से बातचीत में कोयली देवी ने बताया कि 28 सितंबर की दोपहर संतोषी ने पेट दर्द होने की शिकायत की। जिसके बाद गांव के वैद्य ने कहा कि इसको भूख लगी है। खाना खिला दो, ठीक हो जाएगी।
उन्होंने बताया कि मेरे घर में चावल का एक दाना नहीं था। इधर संतोषी भी भात-भात कहकर रोने लगी थी। उसका हाथ-पैर अकड़ने लगा। शाम हुई तो मैंने घर में रखी चायपत्ती और नमक मिलाकर चाय बनाई। संतोषी को पिलाने की कोशिश की। लेकिन, वह भूख से छटपटा रही थी। देखते ही देखते रात के करीब 10 बजे उसने दम तोड़ दिया।