मध्यप्रदेश के बड़वानी में महात्मा गांधी स्मारक हटाए जाने को लेकर गुरुवार(27 जुलाई) को जमकर हंगामा हुआ। बताया जा रहा है कि गुजरात में सरदार सरोवर बांध के गेट हाल ही में बंद करने से यहां राजघाट पर स्थित महात्मा गांधी और उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी के स्मारक के डूबने का खतरा पैदा हो गया है। जिसके बाद प्रशासन द्वारा इसे हटाकर अस्थायी तौर पर दूसरी जगह स्थानांतरित करने की कार्रवाई का आंदोलनकारियों ने विरोध किया है।
एक कार्यकर्ता हिन्शी सिंह ने बताया कि गत माह सरदार सरोवर बांध के गेट बंद करने से डूब में आने वाले प्रभावितों की पुनर्वास की मांग को लेकर नर्मदा बचाओं आंदोलन की नेता मेधा पाटकर के गुरुवार यहां अनिश्चितकालीन उपवास शुरू करने के कुछ घंटे पहले ही प्रशासन ने गांधी स्मारक स्थानांतरित करने की कार्वाई की।
सिंह ने बताया कि राजघाट पर बने गांधी स्मारक से गांधीजी, कस्तूरबा जी और महात्मा गांधी के सचिव महादेव गांधी के अस्थि कलश को गुरुवार तड़के प्रशासन द्वारा कहीं ओर ले जाया गया। जब स्थानीय लोगों, आंदोलन के कार्यकर्ताओं और पाटकर ने इसका विरोध किया तो अस्थि कलश को पुन: स्मारक स्थल पर वापस लाया गया।
उन्होंने आरोप लगाया कि इसके बाद पुलिस ने आंदोलकारियों को खदेड़ते हुए बल पूर्वक फिर से अस्थि कलश राजघाट से हटा दिये। हालांकि, जिला कलेक्टर तेजस्वी एस नायक ने कहा कि गुरुवार सुबह राजघाट से अस्थि कलश दूसरे अस्थायी स्थान पर ले जाये जा रहे थे तब कुछ गलतफहमी हो गयी।
उन्होंने कहा कि गलतफहमी और विरोध प्रदर्शन के चलते अस्थि कलश राजघाट पर ही रहने दिये गये, लेकिन दोपहर को इसे कुकरा क्षेत्र में अस्थायी तौर पर स्थानांतरित किया गया। उन्होंने कहा कि गांधी स्मारक को नये स्थान पर स्थानांतरित करने के संबंध में एक समिति का गठन किया जायेगा। इस समिति के फैसले के बाद ही निर्धारित स्थान पर भव्य गांधी स्मारक बनाया जायेगा।
वहीं, उपवास पर बैठने के पहले पाटकर ने कहा कि सरदार सरोवर बांध के गेट बंद होने से डूब प्रभावित होने वाले मध्य प्रदेश के 40,000 परिवारों का पुनर्वास होना है। उन्होंने कहा कि बड़वानी, अलीराजपुर, धार और खरगोन जिलों के नर्मदा नदी के पास रहने वाले डूब से प्रभावित 40,000 परिवारों को सरकार ने 31 जुलाई तक अपने स्थान खाली करने को कहा है।
पाटकर ने कहा कि राज्य सरकार के अधिकारी डूब प्रभावित लोगों को अपने स्थान हटकर टीन शेड में रहने के लिये बाध्य कर रहे हैं तथा पुनर्वास स्थालों पर बुनियादी सुविधाएं तक नहीं दी गयी हैं। उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि सरदार सरोवर बांध के गेट खोले जायें तथा लोगों का पुनर्वास करने से पहले उन्हें बेदखल नहीं किया जाना चाहिये। गुजरात में जलाशय पानी से पूरे भरे हैं, क्योंकि वहां भारी वर्षा हुयी है, इसलिये सरदार सरोवर बांध में पानी को भरने की फिलहाल जरूरत नहीं है।