2019-20 में आर्थिक वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान, जानें आर्थिक समीक्षा की मुख्य बातें

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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने गुरुवार को चालू वित्त वर्ष 2019-20 में आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पांच साल के न्यूनतम स्तर 6.8 प्रतिशत रही थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को आर्थिक समीक्षा संसद में पेश की। इसमें 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की रणनीति का खाका पेश किया गया है। समीक्षा में निजी निवेश, रोजगार, निर्यात और माँग के जरिये सतत आर्थिक समृद्धि का माहौल बनाने का सुझाव भी दिया गया है।

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश 2018-19 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, ‘‘2019-20 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान है। बीते वित्त वर्ष में पूरे साल वृद्धि दर के निचले स्तर पर रहने के बाद यह अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार का संकेत है।’’ समीक्षा में 2018-19 में राजकोषीय घाटा 3.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। अंतरिम बजट में भी राजकोषीय घाटा 3.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।

जानें, आर्थिक समीक्षा की मुख्य बातें

  • वर्ष 2019- 20 में जीडीपी वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान। इससे पिछले वित्त वर्ष 2018- 19 में यह 6.8 प्रतिशत रही।
  • चालू वित्त वर्ष के दौरान निवेश, खपत से बढ़ेगी आर्थिक वृद्धि।
  • वर्ष 2024- 25 तक 5,000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनने के लिये 8 प्रतिशत की सतत् आर्थिक वृद्धि की जरूरत।
  • राजनीतिक तौर पर भारी जनमत आर्थिक वृद्धि के लिहाज से बेहतर।
  • मांग, रोजगार, निर्यात और उत्पादकता में एक साथ वृद्धि के लिये निवेश महत्वपूर्ण।
  • निवेश के क्षेत्र में वृद्धि के शुरुआती संकेत, रिण उठाव में वृद्धि दिखने लगी है।
  • चालू वित्त वर्ष के दौरान कच्चे तेल के दाम गिरने के संकेत।
  • केंद्र और राज्यों का सामान्य सरकारी राजकोषीय घाटा 2018- 19 में 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जो कि इससे पिछले साल 6.4 प्रतिशत पर रहा था।
  • पिछले वित्त वर्ष 2018- 19 में आयात वृद्धि 15.4 प्रतिशत और निर्यात वृद्धि 12.5 प्रतिशत रहने का अनुमान।
  • वर्ष 2018- 19 में खाद्यान्न उत्पादन 28.34 करोड़ टन रहने का अनुमान।
  • विदेशी मुद्रा का आरक्षित भंडार जून 2019 में 422.2 अरब डालर रहा।
  • सूक्ष्म, लघु एवं मझौले उद्यमों की वृद्धि, रोजगार सृजन और उत्पादकता बढ़ाने के लिये नीतियों में बदलाव की जरूरत।
  • छोटी एमएसएमई फर्मों जो छोटी ही बनी रहतीं हैं के बजाय बड़ी कंपनी बनने की क्षमता रखने वाली नई कंपनियों के लिये नीतियों को दिशा देने की जरूरत।
  • उम्रदराज होती आबादी के लिये तैयारी करने की जरूरत। इसके लिये स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश बढ़ाने और चरणबद्ध तरीके से सेवानिवृति आयु बढ़ाने की जरूरत।
  • सामाजिक रूचि से जुड़े आंकड़ों की बेहतर संभावना को बताया गया। समीक्षा में कहा गया है कि ये डेटा जनता का, जनता द्वारा जनता के लिये होने चाहिए।
  • कानूनी सुधार, नीतियों में निरंतरता, सक्षम श्रम बाजार और प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर जोर।
  • अनुबंध का प्रवर्तन कारोबार सुगमता रैंकिंग में सुधार के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा। सबसे ज्यादा वाणिज्यिक विवाद निचली अदालतों में लंबित हैं।
  • समावेशी वृद्धि का लक्ष्य हासिल करने के मामले में निम्न वेतन और मजदूरी में असमानता सबसे बड़ी गंभीर बाधा।
  • जीवन पर्यंत मालिकाना लागत को कम रखने और इलेक्ट्रिक वाहनों को परंपरागत वाहनों के मुकाबले बेहतर विकल्प बनाने के लिये नीतियों में बदलाव की जरूरत।
  • आर्थिक समीक्षा में संसाधनों का कुशलता से उपयोग करने के मामले में महत्वपवूर्ण राष्ट्रीय नीति की सिफारिश की गई है। (इनपुट- भाषा के साथ)
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