यूपी के मुजफ्फरनगर में खतौली के पास हुए उत्कल एक्सप्रेस हादसे के बाद मुसाफिरों की जान-माल की रक्षा के लिए धर्म और मजहब की दीवारें टूट गईं, जिसकी चर्चा अब पूरे देश में हो रही है। मुस्लिम और हिंदू युवकों ने मिलकर ट्रेन में फंसे घायलों को निकालकर अस्पताल पहुंचाने का काम शुरू किया। वहीं घायल संतों का कहना है कि- अगर मुस्लिम युवक समय पर न आते तो बचना मुश्किल था।
स्थानिय लोगों ने घरों से पलंग, चारपाई, फोल्डिंग पर लादकर घायलों को एंबुलेंस तक पहुंचाया। हादसे में घायल संतों ने बताया कि, तेज धमाके की आवाज के बाद डब्बे एक-दूसरे पर चढ़ गए कुछ समझ नहीं आया कि क्या हो गया है। जान बचाने के लिए गुहार मची थी, ऐसे में पास की मुस्लिम बस्ती से दौड़कर आए युवकों ने हमें बचाया एक-एक कर डिब्बे में फंसे यात्रियों को बाहर निकालने लगे।
घायल संतों के मुताबिक, स्थानीय लोग उनके लिए पानी लेकर आए, खाट की व्यवस्था की यहां तक कि घायलों का प्राथमिक इलाज करवाने के लिए मदद कि घायलों को एंबुलेंस तक पहुंचाया।
ट्रेन में यात्रा कर रहे संत मोनीदास के मुताबिक, यदि समय रहते मुस्लिम युवक उन्हें न बचाते, तो मरने वालों की संख्या और अधिक हो सकती थी। वो कहते हैं, अगर मुस्लिम युवक न आते तो बचना मुश्किल था। हरिद्वार की यात्रा पर निकले तीर्थयात्रियों ने बचाव में जुटे मुस्लिमों को दुआएं भी दी। बता दें, शनिवार(19 अगस्त) को हुए इस हादसे में 24 लोगों की मौत हुई है वही, 156 से अधिक लोग घायल हुए है।