दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार(1 अगस्त) को आयकर विभाग से कहा कि वह 428 करोड़ रुपये की मांग पर एनडीटीवी के खिलाफ कोई दमनात्मक कदम न उठाए। कोर्ट ने इस मीडिया हाउस से तुरंत तत्काल भुगतान की मांग किए जाने पर आयकर विभाग की खिंचाई की और कहा कि यह अति उत्साहपूर्ण और अपने आप में अवैध प्रतीत होता है।न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति एम सिंहठे की बेंच ने आयकर विभाग से कहा, ‘आप दंडात्मक आदेश कैसे जारी कर सकते हो, जब 26 जुलाई को निर्धारित की गई राशि के भुगतान के लिए कोई समय नहीं दिया गया है। अदालत ने कहा कि वह इससे संतुष्ट है कि प्रथम दृष्टया मामला नई दिल्ली टेलीविजन (एनडीटीवी) के पक्ष में है।
इसने आयकर विभाग को नोटिस भी जारी किया और 26 जुलाई के मांग आदेश तथा उसी दिन जारी किए गए कारण बताओ नोटिस को चुनौती देने वाली टेलीविजन की याचिका पर उससे जवाब मांगा है। कारण बताओ नोटिस समय पर राशि का भुगतान करने में विफल रहने पर जारी किया गया था।
एनडीटीवी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने दलील दी कि 26 जुलाई का आदेश बिना अधिकार क्षेत्र है और छोटे-छोटे आकलन पर आधारित है। मांग आदेश और नोटिस जारी करने पर आयकर विभाग की खिंचाई करते हुए पीठ ने उल्लेख किया कि राशि जमा करने के लिए दिया गया समय तुरंत तत्काल था, जो अति उत्साहपूर्ण और अपने आप में अवैध प्रतीत होता है।
अपने बचाव में विभाग ने दलील दी कि केवल कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था और यह 2007-08 की दो तथा 2009-10 की एक, न चुकाई गई मांगों के संबंध में था। अपने बचाव में आयकर विभाग का प्रतिनिधत्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता संजय जैन ने यह दलील भी दी कि याचिका विचार योग्य नहीं है और मीडिया हाउस आदेश के खिलाफ संबंधित आयकर विभाग के आयुक्त के पास अपील कर सकता है।
साथ ही उन्होंने यह आग्रह भी किया कि पीठ मांगी गई धनराशि का आंशिक हिस्सा जमा करने का निर्देश दे। हालांकि, अदालत ने राशि के आंशिक भुगतान का आदेश नहीं दिया। पीठ ने इसकी जगह विभाग को यह मुद्दा सुनवाई की अगली तारीख 21 अगस्त को उठाने की अनुमति दे दी।