दिल्ली की एक अदालत ने 2018 में मुख्य सचिव पर हमले के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आरोप-मुक्त किए जाने के खिलाफ दायर याचिका के संबंध में सोमवार को दोनों नेताओं को नोटिस जारी किए।
विशेष सीबीआई न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने केजरीवाल, सिसोदिया और नौ अन्य को पूर्व मुख्य सचिव की याचिका के संबंध में नोटिस जारी किए। इन सभी को 23 नवंबर तक नोटिस के जवाब देने हैं। अंशु प्रकाश ने इन नेताओं को आरोप मुक्त करने के 11 अगस्त के आदेश को चुनौती दी है।
अदालत ने केजरीवाल और सिसोदिया के अलावा आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक, राजेश ऋषि, नितिन त्यागी, प्रवीण कुमार, अजय दत्त, संजीव झा, ऋतुराज गोविंद, राजेश गुप्ता, मदन लाल और दिनेश मोहनिया को नोटिस जारी किए हैं। इस मामले में अब 23 नंवबर को सुनवाई होगी।
अंशु प्रकाश की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा और अधिवक्ता कुमार वैभव ने न्यायाधीश से कहा कि मजिस्ट्रेट अदालत ने अपने अगस्त के आदेश में केजरीवाल और अन्य को आरोप-मुक्त करने में गलती की है।
अंशु प्रकाश ने खान और जारवाल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 506 (आपराधिक धमकी) सहित अतिरिक्त आरोप तय करने का भी अनुरोध किया है।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सचिन गुप्ता ने 2018 में तत्कालीन मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ कथित हाथापाई से जुड़े मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी (आप) के नौ अन्य विधायकों को बुधवार को आरोप-मुक्त कर दिया था। आप के दो विधायक, अमानतुल्ला खान और प्रकाश जरवाल के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया गया था। दोनों को ही उच्च न्यायालय से जमानत मिल चुकी है।
आपराधिक मामला 19 फरवरी, 2018 को केजरीवाल के आधिकारिक आवास पर एक बैठक के दौरान प्रकाश पर कथित हमले से जुड़ा। इस घटना के बाद से दिल्ली सरकार और उसके नौकरशाहों के बीच गतिरोध उत्पन्न हो गया था।
गौरतलब है कि, बीते दिनों सीएम केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया समेत 11 विधायकों को बरी कर दिया गया था। इसके खिलाफ अंशु प्रकाश ने मामले को लेकर अपील दायर की, जिस पर आज कोर्ट ने सभी 9 आरोपियों को जवाब दायर करने के लिए नोटिस भेजा है। (इंपुट: भाषा के साथ)