#MeToo: कांग्रेस ने मोदी के मंत्री एमजे अकबर से मांगा इस्तीफा, 6 महिला पत्रकारों ने केंद्रीय मंत्री पर लगाए हैं 'यौन शोषण' के गंभीर आरोप

0

अभिनेत्री तनुश्री दत्ता द्वारा मशहूर अभिनेता नाना पाटेकर पर यौन शोषण का आरोप लगाए जाने के बाद अब अलग-अलग इंडस्ट्री की बाकी हस्तियों ने भी अपने साथ हुए यौन दुर्व्यवहार के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी है। नाना पाटेकर के बाद जहां डायरेक्टर विकास बहल, मशहूर सिंगर कैलाश खेर, प्रसिद्ध लेखक चेतन भगत, अभिनेता रजत कपूर, मॉडल जुल्फी सैयद, फिल्मों और टीवी जगत के ‘संस्कारी बाबू’ यानी अभिनेता आलोक नाथ सहित ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ (एचटी) के ब्यूरो प्रमुख और राजनीतिक संपादक प्रशांत झा पर भी यौन दुर्व्यवहार के आरोप लगे हैं।
(Indian Express/File Photo)
फिल्म इंडस्ट्री से ‘मी टू’ अभियान (यौन उत्पीड़न के खिलाफ अभियान) की शुरुआत होने के बाद इसकी चपेट में मीडिया जगत भी आ गया है और इसकी लपटें मोदी सरकार के एक मंत्री को अपने लपेटे में ले रही हैं। अपने समय के मशहूर संपादक व वर्तमान में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री एम.जे.अकबर पर 6 वरिष्ठ महिला पत्रकारों ने यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए हैं।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर के ऊपर छह महिला पत्रकारों ने यौन उत्पीड़न और अनुचित व्यवहार के आरोप लगाए हैं। आरोप में कहा गया है कि यह काम उन्होंने तब किया जब वे समाचार पत्र के संपादक के रूप में काम कर रहे थे। इस बीच केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों से उनकी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। अब अकबर के मामले में कांग्रेस ने न सिर्फ जांच की मांग की है, बल्कि उनके इस्तीफे की भी मांग की है।
कांग्रेस नेता जयपाल रेड्डी ने कहा कि अकबर पर लगे आरोप गंभीर हैं। इस पर उन्हें स्पष्टीकरण देना चाहिए या फिर इस्तीफे की पेशकश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम पूरे मामले की जांच की मांग करते हैं। कांग्रेस नेता ने कहा, “केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर को या तो (यौन उत्पीड़न) आरोपों पर संतोषजनक जवाब देना चाहिए या फिर इस्तीफा देना चाहिए। हम इस मामले में जांच की मांग करते हैं”


 

जयपाल रेड्डी ने संवाददाताओं से कहा, ‘मेरा मानना है कि एम जे अकबर को संतोषजनक स्पष्टीकरण देना चाहिए या फिर इस्तीफा देना चाहिए। जब उनके साथ काम कर चुकी वरिष्ठ पत्रकारों ने आरोप लगाया है तो फिर वह पद पर कैसे बने रह सकते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘इसमें जांच होने दीजिए। एम जे अकबर के आचरण की जांच होनी चाहिए।’ रेड्डी ने इस मामले पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की ‘चुप्पी’ पर सवाल खड़े करते हुए कहा, ‘वह अपनी जिम्मेदारी से बच रही हैं और इस पर टिप्पणी करने के लिए तैयार नहीं हैं।’
वहीं, पार्टी प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, ‘यह बहुत दुख की बात है कि एक महिला होते हुए भी सुषमा स्वराज जी कुछ नहीं बोल रही हैं। उनको इस पर बोलना चाहिए क्योंकि देश की बहुत सारी बच्चियां उनको प्रेरणास्रोत के तौर पर देखती हैं और वे चाहती हैं कि वह इस मामले पर अपना रुख स्पष्ट करें।’ बीजेपी सांसद उदित राज के एक विवादित बयान पर प्रियंका ने कहा, ‘उदित राज का बयान शर्मनाक और निंदनीय है। बीजेपी सांसद को देश की महिलाओं से माफी मांगनी चाहिए।’
उन्होंने यह भी कहा कि उदित राज का बयान बीजेपी की ‘महिला विरोधी’ सोच को दर्शाता है। दरअसल, बीजेपी सांसद उदित राज ने बुधवार को भारत में ‘मी टू’ अभियान को ‘गलत प्रथा’ करार दिया और सवाल उठाया कि 10 साल बाद किसी के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाना कितना प्रासंगिक है। आपको बता दें कि मंगलवार को पत्रकार प्रिया रमानी और प्रेरणा सिंह बिंद्रा ने अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था।
6 महिलाओं ने लगाया आरोप
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सबसे पहले प्रिया रमाणी (जो पहले इंडिया टुडे, द इंडियन एक्सप्रेस और मिंट में काम कर चुकी हैं) ने एमजे अकबर पर होटल के कमरे में बुलाने का आरोप लगाया है। उन्होंने अक्टूबर 2017 के अपने एक लेख में उस अनुभव को साझा किया था। उन्होंने लिखा कि उनकी उम्र उस समय 23 साल थी और एम जे अकबर की 43 साल। संपादक ने उन्हें एक जॉब के इंटरव्यू के सिलसिले में मुंबई के एक होटल में बुलाया था, जहां वे अक्सर ठहरते थे।
इसके अलावा एमजे अकबर द्वारा मुंबई में एक होटल के कमरे में बातचीत के दौरान अपने अनुभव को साझा करते हुए स्वतंत्र पत्रकार कनिका गहलोत, जिन्होंने 1995 से 1997 तक एशियन युग और अन्य प्रकाशनों में अकबर के साथ काम किया, ने कहा कि, “मैंने रमाणी के लेख को नहीं पढ़ा था। लेकिन उन्होंने कई के साथ ऐसा किया है। मैंने अकबर के साथ तीन वर्षों तक काम किया। लेकिन शुरूआत में ही मुझे एक ने अागाह कर दिया था।”
वहीं, सुपर्णा शर्मा, जो अभी दिल्ली में द एशियन एज की रेजिडेंट एडिटर हैं, की उम्र उस समय करीब 20 साल थी। वे उस अखबार की लॉन्च टीम का हिस्सा थी, जहां उन्होंने 1993 से 1996 तक काम किया। वे अकबर को रिपोर्ट करती थीं। एक दिन वह अखबार का पेज बना रही थीं और अकबर उनके पीछे खड़े थे। शर्मा याद करते हुए बताती हैं, “उन्होंने मेरी ब्रा स्ट्रीप को खिंचा और कुछ कहा। मैं तुरंत उनके उपर चिल्लाई।” साथ ही शर्मा ने कई गंभीर आरोप लगाई हैं।
लेखिका शुमा राह ने बताया कि उन्हें एशियन एज में नौकरी के सिलसिल में एमजे अकबर के साथ एक इंटरव्यू के लिए 1995 में कोलकाता के ताज बंगाल होटल में बुलाया गया था। वे कहती हैं, “जब वे लॉबी में पहुंची, मुझे उपर आने कहा गया। मैंने ज्यादा नहीं सोचा। लेकिन इंटरव्यू के दौरान बेड पर बैठना मुझे काफी असहज लगा। अकबर ने मुझे जॉब आॅफर किया और कहा कि क्यों नहीं आप कभी मेरे साथ ड्रिंक पर आएं?” राहा ने कहा कि मैं इस टिप्पणी से डर गई अौर नौकरी नहीं ज्वाइन किया।
इसके अलावा पत्रकार प्रेरणा सिंह बिंद्रा ने एमजे अकबर का नाम लिए बिना इसी तरह की एक घटना के बारे में 7 अक्टूबर को ट्वीट किया। वे कहती हैं, “एक ‘प्रख्यात’ संपादक ने मुझे ‘काम पर चर्चा’ करने के लिए होटल में बुलाया और फिर जब मैंने मना कर दिया तो पढ़ रहे मैगजीन को बेड पर रख दिया।” हालांकि सोमवार (8 अक्टूबर) को बिंद्रा ने अकबर का नाम शामिल किया। मंगलवार को अकबर के खिलाफ एक और पत्रकार सामने आईं। शतापा पॉल ने रमाणी के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा, “मी टू। एमजे अकबर 2010-11 कोलकाता में इंडिया टुडे में काम करने के दौरान।”
सबसे पहले इन दो महिलाओं ने खोला मोर्चा
सबसे पहले दो महिला पत्रकारों ने मंत्री के खिलाफ मोर्चा खोला। वहीं, समाचार एजेंसी IANS के मुताबिक, अखबार ‘द टेलीग्राफ’ ने मंगलवार को रमानी और न्यूज पोर्टल फर्स्टपोस्ट में एक अनाम लेखिका के ट्वीट पर आधारित खबर चलाई। संयोग की बात है कि अकबर द टेलीग्राफ के संस्थापक संपादक रह चुके हैं।
रमानी ने सोमवार को एक लेख के बारे में ट्वीट किया, जिसे उन्होंने 2017 में वोग पत्रिका के लिए लिखा था।उन्होंने कहा, “मैंने अपने इस लेख की शुरुआत मेरी एमजे अकबर स्टोरी के साथ की थी। उनका नाम कभी नहीं लिया क्योंकि उन्होंने कुछ ‘किया’ नहीं था।” उन्होंने अकबर को ‘प्रेडेटर’ भी कहा।


रमानी ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा, “एक छोटी कहानी ऐसे की तरफ से जिसने उनके साथ काम किया था। एमजे अकबर कभी अवसर को नहीं चूकते थे।” अनाम महिला पत्रकार की स्टोरी में अकबर का नाम तो नहीं लिया गया, लेकिन उन्हें बांबे, दिल्ली और लंदन से एकसाथ प्रकाशित होने वाले अखबार (एशियन एज) का बॉस कह कर संबोधित किया गया।
पत्रकार ने कहा कि उसे होटल की लॉबी में घंटों इंतजार करना पड़ा और जब वह अपनी बैठकें कर रात 9.30 बजे वापस आए तो उससे पूछा गया कि क्या वह यहां रुकना चाहती है। पत्रकार ने कहा कि ‘जब मैंने मना किया तो उन्होंने शालीनतापूर्वक मुझसे कहा कि कार्यालय की कार ले जाओ और मुझे घर भेजा। लेकिन, इस घटना के बाद मैं कभी उनके पसंद के लोगों में नहीं रही।’
वहीं, बिंद्रा ने रविवार को अकबर के विरुद्ध आरोप लगाए थे लेकिन उनका नाम नहीं लिया और कहा था, “वह एक प्रतिभावान, चमकीले संपादक थे जो राजनीति में चले गए। आधी रात का संस्करण पूरा करने के बाद उन्होंने मुझे अपने पहले काम की चर्चा के लिए अपने होटल रूम में बुलाया था..जब मैंने मना कर दिया तो उन्होंने मेरे काम के समय मेरी जिंदगी को नरक बना दिया। कई सारी बाध्यताओं की वजह से बोल नहीं सकी। लेकिन हां, मी टू इंडिया।”


लेकिन मंगलवार को बिंद्रा ने उनका नाम लिया और सिलसिलेवार ट्वीट किए। उन्होंने कहा, “वह एमजे अकबर थे। मैं इसे हल्के में नहीं कह रही हूं…मैं फर्जी आरोपों का परिणाम जानती हूं। इस घटना को हुए 17 वर्ष हो गए और मेरे पास कोई ठोस सबूत नहीं है। लेकिन तब मैं कम उम्र की थी, तुरंत ही फीचर संपादक बनी थी, हमारे प्रतिभावान संपादक और संवेदनशील संपादक से प्रभावित थी।”


बिंद्रा ने कहा, “लेकिन महान व्यक्तियों की भी कमजोरी होती है। मैंने इस स्टोरी के बारे में पहले के ट्वीट में लिखा है। मैंने हमारी बातचीत को इंज्वॉय किया-वह विनोदपूर्ण और बुद्धिमान थे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं उपलब्ध थी। मैंने जब रात में होटल जाने से मना कर दिया, तो चीजें खराब हो गईं।” उन्होंने कहा, “एक बार जब पूरी फीचर टीम के साथ हम बैठक कर रहे थे, उन्होंने भद्दी टिप्पणी की। एक लड़की ने मुझे कहा कि उसे भी अकबर ने होटल बुलाया था। मैं शहर में अकेली थी, निजी तौर पर लड़ाइयां लड़ रही थी। मैं शांत रही।”
बिंद्रा ने कहा, “एक बार मैं मुंबई मंत्रालय एक स्टोरी के सिलसिले में गई और एक अधिकारी ने मुझे जबरन पकड़ने की कोशिश की। मैंने सोचा कि इसकी शिकायत मैं किससे करूं, मेरा संपादक भी तो ऐसा ही है। मैं एए से चली गई। अधिकारी के भ्रष्टाचार के बारे में पता किया, लेकिन अगले अखबार ने इसे छापने से मना कर दिया।” पत्रकार ने कहा कि वह वर्षो तक अकबर के संपर्क में रहीं लेकिन ‘बिना उनके प्रति किसी सम्मान के साथ’।
बीजेपी नेताओं ने दी अलग-अलग प्रतिक्रिया
बीजेपी नेताओं ने ‘मी टू’ अभियान पर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं दी हैं। महिला व बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने इसका समर्थन किया है। उन्होंने इस बारे में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में कहा, “जो भी पावर में होते हैं, हमेशा इसका प्रयोग करते हैं, चाहे यह फिल्म हो, मीडिया हो या कोई भी इंडस्ट्री हो। जब भी कोई महिला ऐसा कोई आरोप लगाती है, उसे हमें काफी गंभीरता से लेना चाहिए।”
वहीं, बीजेपी सांसद उदित राज ने हालांकि इस अभियान को लेकर सवाल उठाए और कहा कि क्यों महिलाएं 10 साल बाद अपनी कहानियों को लेकर सामने आ रहीं हैं। उन्होंने साथ ही कहा कि यह ‘एक गलत चलन की शुरुआत है।’ उन्होंने कहा कि यह नहीं भूलना चाहिए कि जिस पर आरोप लगाया जा रहा है, उसकी सार्वजनिक छवि धूमिल हो सकती है। बाद में अकबर पर लगे आरोप के बारे में पूछे जाने पर उदित राज ने यही दोहराया कि अगर आरोप झूठे हुए तो जिस पर आरोप लग रहा है उसकी प्रतिष्ठा का क्या होगा।
सुषमा स्वराज ने साधी चुप्पी
एमजे अकबर पर महिला पत्रकारों द्वारा लगाए गए आरोपों को लेकर जब मीडियाकर्मियों ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से सवाल किया तो उन्होंने चुप्पी साध ली। वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा ने एक वीडियो पोस्ट किया है जिसमें पत्रकार सुषमा स्वराज से अकबर पर लगे आरोपों पर प्रतिक्रिया मांग रहे हैं, लेकिन उन्होंने इस संबंध में कुछ भी जवाब देने से इनकार कर दिया।


स्वराज ने अपने मातहत राज्य मंत्री एम जे अकबर पर उनके पत्रकारीय जीवन के दौरान दो महिला पत्रकारों के यौन शोषण किए जाने के आरोपों पर चुप्पी साध ली। विदेश मंत्रालय में ‘इंडिया फॉर ह्यूमेनिटी’ पहल का शुभांरभ किए जाने के मौके पर कार्यक्रम समाप्त होने के बाद पत्रकारों ने जब सोशल मीडिया में चल रहे ‘मी टू’ अभियान में विदेश राज्य मंत्री अकबर पर आरोपों के बारे में पूछा तो स्वराज बिना कुछ कहे चलीं गईं।

 
 

Previous articleCongress demands resignation of MJ Akbar after more journalists accuse him of sexual harassment
Next articleमध्य प्रदेश: एक ही परिवार के पांच मासूम बच्चों के शव मिलने से फैली सनसनी, माता-पिता फरार