सीबीआई निदेशक अनिल सिन्हा के सेवानिवृत्त होने से एक दिन पहले इसको लेकर अनिश्चितता बनी हुई है कि उनका स्थान कौन लेगा। वहीं ऐसे संकेत हैं कि हो सकता है कि सरकार देश की इस प्रमुख जांच एजेंसी का हाल फिलहाल स्थायी प्रमुख नियुक्त नहीं करे।
सीबीआई निदेशक का चयन एक कॉलेजियम द्वारा किया जाता है जिसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता या लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी के नेता और भारत के प्रधान न्यायाधीश शामिल होते हैं।
ऐसे में जब सिन्हा का कार्यकाल समाप्त होने में एक दिन का समय बचा है इसकी संभावना है कि सीबीआई निदेशक का प्रभार जांच एजेंसी के वरिष्ठतम अधिकारी को तब तक के लिए तदर्थ आधार पर सौंप दिया जाए जब तक कि तीनों बैठक करके नये प्रमुख के नाम को अंतिम रूप नहीं दे देते।
कल रात एक चौंकाने वाले कदम के तहत विशेष निदेशक के पद पर कार्यरत आर के दत्त को विशेष सचिव के पद पर गृह मंत्रालय भेज दिया गया। दत्त को सिन्हा का संभावित उत्तराधिकारी माना जा रहा था। सूत्रों ने कहा कि इससे इन अटकलों को बल मिला कि सीबीआई में अतिरिक्त निदेशक एवं गुजरात काडर के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना सिन्हा से अस्थायी तौर पर प्रभार संभाल सकते हैं।
भाषा की खबर के अनुसार, गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने यह बात खारिज कर दी कि दत्त को सीबीआई से इसलिए हटा दिया गया ताकि अगले निदेशक पद पर किसी ‘‘पसंदीदा’’ व्यक्ति की नियुक्ति में आसानी हो सके।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘दत्त को आतंक के वित्तपोषण के मामलों की निगरानी और गृह मंत्रालय में अन्य कुछ प्रभागों की जिम्मेदारी दी जाएगी।’’ सिन्हा ने सीबीआई की जिम्मेदारी तब संभाली थी जब एजेंसी अपने राजनीतिक आकाओं के ‘‘पिंजरे का तोता’’ होने के लिए आलोचनाओं का सामना कर रही थी। वह सुखिर्यों से दूर रहे और अनावश्यक मीडिया चमक दमक से परहेज किया।
1979 बैच के इस अधिकारी ने एजेंसी के अधिकारियों को शीना बोरा हत्या मामला और विजय माल्या रिण चूक मामला जैसे महत्वपूर्ण मामलों की जांच के लिए निर्देशित किया।