नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी पर सांसद निधि को लेकर धोखाधड़ी और ”गंभीर वित्तीय अनियमितताएं” बरतने का आरोप लगाया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर देना चाहिए। पार्टी ने यह भी कहा कि इस मामले में स्मृति के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज किया जाए। कांग्रेस के इस आरोप पर फिलहाल स्मृति और बीजेपी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
कैग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस ने दावा किया कि स्मृति ने अपनी सांसद निधि से बिना टेंडर के ही 5.93 करोड रुपये का ठेका एक एनजीओ को दे दिए। कांग्रेस के मुताबिक, जिले के कलेक्टर ने जांच के बाद रिकवरी करने के आदेश दिए थे। कांग्रेस नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से स्मृति ईरानी को मंत्रिमंडल से हटाने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। यह मामला स्मृति ईरानी द्वारा गोद लिए गए गुजरात के आणंद जिले के माघरोल गांव से जुड़ा है।
कांग्रेस का आरोप है कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सांसद निधि के जरिए किए गए काम में करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार किया है। यही नहीं ईरानी ने नियमों की अनदेखी भी की। इस मुद्दे पर दिल्ली के पार्टी मुख्यालय में मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि स्मृति इरानी ने भ्रष्टाचार किया है। इस संबंध में कलेक्टर की जांच रिपोर्ट भी है, जिसमें भ्रष्टाचार की बात सामने आई है। उन्होंने कहा कि यही नहीं सीएजी ने भी इस संबंध में अपनी रिपोर्ट में इसका जिक्र किया है।
कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, “2018 की सीएजी रिपोर्ट नंबर चार ने भ्रष्टाचार उजागर किया है। इसके मुताबिक, बिना किसी निविदा प्रक्रिया के एमपीएलएडी फंड से करीब 6 करोड़ रुपये (5.93 करोड़) का भुगतान किया गया, जिसमें 84,53,000 का फर्जी भुगतान शामिल है।” सुरजेवाला ने कहा कि गंभीर वित्तीय अनियमितता के लिए स्मृति को बर्खास्त करने के साथ ही उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज किया जाए।
वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शक्ति सिंह गोहिल ने कैग की रिपोर्ट मीडिया को जारी करते हुए कहा कि कैग ने भी जांच में इस बात की तस्दीक की है कि काम पूरा होने का फर्जी सर्टिफिकेट देकर एनजीओ ने पैसे हासिल कर लिए। उन्होंने कहा, ”मोदी जी और उनके करीबी करोड़ों से कम खाते नहीं और ईमानदार लोगों को चैन से रोटी खाने नहीं देते।” उन्होंने दावा किया, ”यह जानकारी गुजरात में आणंद जिले के कलेक्टर के लिखे पत्र और कैग की जांच से सामने आई। स्मृति ईरानी ने गांव को मिलने वाले पैसे खुद की जेब में डालने के लिए एक गांव गोद लिया।”
गोहिल ने कहा, ”सांसद निधि को लेकर स्पष्ट गाइडलाइन है कि आप कॉन्ट्रैक्ट किसी को भी दे सकते हैं, लेकिन क्रियान्वयन एजेंसी सरकार होती है। स्मृति जी ने फोन कर ‘शारदा मजदूर कामदार सहकारी मंडली’ नामक सहकारी संस्था को क्रियान्वयन का कॉन्ट्रैक्ट दिलवाया।” उन्होंने कहा कि गाइडलाइन के मुताबिक, 50 लाख रूपये से ज्यादा का किसी को कॉन्ट्रैक्ट नहीं दिया जा सकता। लेकिन स्मृति ईरानी ने करोड़ों का कॉन्ट्रैक्ट दिलवाया। इस संस्था को करीब छह करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।
गोहिल ने दावा किया कि कलेक्टर ने जांच कराई तो पाया कि काम कुछ नहीं हुआ, सिर्फ पैसा खाया गया। कैग ने इसका गंभीरता से संज्ञान लिया और रिकवरी की बात की। साथ ही गोहिल ने यह भी कहा ‘‘चुनाव नजदीक है और अगर थोड़ी भी नैतिकता बची है तो स्मृति इस्तीफा दें। मोदी जी, थोड़ी अंतरात्मा जग जाए तो इन्हें बर्खास्त करें।’’
गुजरात हाईकोर्ट का सख्त हुआ रुख
इस बीच स्मृति ईरानी की सांसद निधि के कामों में घपले का मामले में दायर जनहित याचिका पर गुजरात हाईकोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार किया है। गुरुवार को गुजरात हाई कोर्ट ने परियोजनाओं का क्रियान्यवन करने वाली एजेंसी से धनराशि वसूली को लेकर ब्यौरा तलब किया है। स्मृति ईरानी की निधि से कामों में गड़बड़ी सामने आने के बाद कार्यदायी संस्था से वसूली के आदेश पहले से जारी हो चुके हैं। कैग की रिपोर्ट से खुलासा होने के बाद गुजरात के एक कांग्रेस विधायक इस मामले को लेकर अदालत की चौखट पर पहुंचे हैं।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ए एस दवे और न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव की पीठ ने मामले में सरकार द्वारा अब तक की गई जांच की स्थिति के बारे में भी जानकारी मांगी। गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष और आणंद जिले में अन्क्लाव विधानसभा सीट से विधायक अमित चावडा ने जुलाई 2017 में स्मृति के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया था कि राज्यसभा सांसद के रूप में जारी निधि में बंदरबाद हुई है।
कार्यदायी संस्था ने घोटाला किया है। इस मामले में हुई जांच में भी गड़बड़ी की पुष्टि हुई। जिसके बाद कार्यदारी एजेंसी से वसूली के आदेश जारी हुए थे। अपेक्षित कार्रवाई न होने पर कांग्रेस विधायक ने गुजरात हाईकोर्ट में भी जनहित याचिका दायर की थी। जिसके बाद अब कोर्ट ने धनराशि वसूली का ब्यौरा तलब किया है। मामले में अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी। इस मामले का कैग की रिपोर्ट में भी खुलासा हुआ था। (इनपुट- पीटीआई/भाषा के साथ)