पश्चिम बंगाल में 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रदेश इकाई में बड़ा फेरबदल करते हुए नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्र कुमार बोस को प्रदेश उपाध्यक्ष पद से हटा दिया है। नेताजी के पोते को पद से हटाने का कोई कारण तो नहीं बताया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि पार्टी विरोधी स्टैंड के कारण उनसे जिम्मेदारी छीनी गई है।

भाजपा ने प्रदेश इकाई में बड़ा फेरबदल करते हुए आधे दर्जन से अधिक नेताओं को हटाते हुए नए नेताओं को प्रदेश उपाध्यक्ष, महामंत्री और सचिव बनाया गया है। नई टीम में बॉलीवुड अभिनेत्री अग्निमित्रा पॉल को महिला मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली है। भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई की ओर से जारी सूचना के मुताबिक, कुल 12 नेताओं को प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली है।
बैरकपुर से सांसद अर्जुन सिंह, बांकुड़ा से सांसद सुभाष सरकार, देबाशीश मित्र, राजकमल पाठक, रितेश तिवारी समेत कई नेता प्रदेश उपाध्यक्ष बनाए गए हैं। इसके अलावा पुरुलिया लोकसभा सीट से सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो, हुगली से सांसद लॉकेट चटर्जी, रथिन बसु, संजय सिंह, सयांतन बसु को प्रदेश महामंत्री बनाया गया है।
वहीं, 10 भाजपा नेताओं को प्रदेश मंत्री की जिम्मेदारी मिली है। इनमें विधायक सब्यसाची दत्ता, तुषार मुखर्जी, अरुण हल्दर, दीपांजन गुहा, विवेक सोनकर समेत कुछ अन्य नेता शामिल हैं। सांसद सौमित्र खान अब बीजेपी युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष होंगे, वहीं सांसद खगेन मुर्मू एसटी मोर्चा के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालेंगे।
माना जा रहा है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते और पश्चिम बंगाल के प्रदेश उपाध्यक्ष चंद्र कुमार बोस को भाजपा ने पार्टी विरोधी स्टैंड के चलते हटाया है। गौरतलब है कि, नेताजी के पोते चंद्र कुमार बोस ने पिछले साल नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।
बता दें कि, चंद्र कुमार बोस ने नागरिकता कानून को लेकर कहा था कि कुछ बदलाव करने होंगे ताकि किसी भी पीड़ित को नागरिकता दी जा सके, चाहे वे किसी भी धर्म के हों। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा था कि अगर धर्मनिरपेक्षता को लेकर उनकी चिंताओं का समाधान नहीं किया गया तो वह पार्टी में बने रहने पर पुनर्विचार कर सकते हैं।
बीते साल 24 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर कोलकाता में आयोजित भाजपा की एक विशाल रैली के थोड़ी देर बाद ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस के पोते और राज्य भाजपा के उपाध्यक्ष चंद्र कुमार बोस ने इस कानून को लेकर सवाल उठाया था।
उन्होंने ट्वीट कर सवाल किया था कि “यदि सीएए किसी धर्म से जुड़ा नहीं है तो फिर क्यों हम केवल हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाइयों, पारसियों और जैन की बात कर रहे हैं। क्यों मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया? हमें पारदर्शी बनना चाहिए।”