किसी बड़ी हिंसा की शुरूआत और दंगों से पहले की क्या स्थिति होती है अगर ये देखना हो तो शुक्रवार की दोपहर उत्तर प्रदेश के उरई में ये देखा जा सकता था जब बजरंग दल के कार्यकर्ताओ ने कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाते हुए
अवधेश कुमार नामक युवक को सरे बाजार आधा सिर, भौंह मुंडाकर, गधे पर बैठाकर शहर भर में जुलूस निकाला।
बजरंग दल के 200 से अधिक कार्यकर्ता सड़कों पर उत्पाद मचाते रहे। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं का अवधेश कुमार पर लोगों का धर्मान्तरण करने के आरोप हैं। उनके अनुसार वह लोगों को पैसे और नौकरी का लालच देकर ईसाई धर्म में कनवर्ट कराता है। बजरंग दल के कार्यकर्ताओ ने संगम जाटव नामक व्यक्ति की शिकायत पर इस घटना को अंजाम दिया।
बजरंग दल के जिला संयोजक अखिलेश डिहा के नेतृत्व में बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने इस तालिबानी घटना को अंजाम दिया। अवधेश कुमार की पत्नि की और से अखिलेश डिहा और 200 बजरंग दल कार्यकर्ताओ पर अपहरण व घटना को सम्प्रदायिक रंग देने का मुकादमा दर्ज कराया गया है। जबकि इस पुरे मामले में अवधेश का कहना है कि वह संगम जाटव को व दो अन्य युवकों को सत्संग में लेेकर गया था जिसकी सूचना मिलने पर बंजरग दल के कार्यकर्ताओ ने उसे घर से निकालकर प्रताडि़त किया।
इस घटना ने उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रशासन की लापरवाही को तो उजागर किया ही है साथ ही साथ बजरंग दल जैसे अन्य संगठनों की प्रदेशभर में सम्प्रदायिक वातावरण तैयार करने की पृष्ठभूमि को भी उजागर कर दिया है