योगी सरकार की पुलिस उत्तर प्रदेश के देवबंद, सहारनपुर और मुजफ्फरनगर जिलों में रहने वाले सभी लोगों के पासपोर्ट के दस्तावेजों की जांच कर रही है। इस अभियान के तहत इन जिलों के आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले हजारों पासपोर्ट धारकों के दस्तावेजों की नए सिरे से वेरिफिकेशन करेगी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस द्वारा इन तीनों जिलों में पासपोर्ट की जांच करने की अभियान शुरू कर दी गई है।
नवभारत टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इस खबर की पुष्टि करते हुए सहारनपुर डीआईजी के एस इमेनुएल ने बताया कि इस पूरे अभियान में यूपी पुलिस के साथ लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (एलआईयू) को भी शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त विदेशी छात्रों के दस्तावेजों की भी जांच की जाएगी। सैकड़ों विदेशी छात्र देवबंद के दारुल उलूम में पढ़ते हैं।
डीआईजी ने बताया कि यह चेकिंग अभियान सिर्फ देवबंद या किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं है। मुजफ्फरनगर और सहारनपुर में भी यह अभियान चल रहा है, क्योंकि यहां से भी आंतकी गतिविधियों की सूचनाएं आ रही थीं। उन्होंने कहा कि जितने भी लोगों के पास पासपोर्ट है, उन सभी के दस्तावेजों की जांच होगी। पिछले कई ऐसे उदाहरण हैं जब यहां के कई संदिग्ध की पहचान पर सवाल उठा है।
डीआईजी ने कहा कि अगस्त में मुजफ्फरनगर से एक बांग्लादेशी संदिग्ध आतंकी पकड़ा गया था। उसका पासपोर्ट सहारनपुर के पते पर बना था। उन्होंने कहा कि पुलिस देश की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं कर सकती। इसलिए इन इलाकों के सभी पासपोर्ट रखने वाले लोगों के दस्तावेजों की जांच करेगी ताकि ऐसे लोगों को पकड़ा जा सके।
बता दें कि यूपी पुलिस ने हाल ही में दो संदिग्ध बांग्लादेशी आतंकियों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने देवबंद के पते पर भारतीय पासपोर्ट बनवाया हुआ था। इनकी गिरफ्तारी के बाद योगी सरकार ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों से राज्य में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया था।
प्रमुख सचिव अरविंद कुमार की तरफ से सभी जिलाधिकारियों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए जिन्होंने अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशियों को देश का पहचान पत्र बनवाने में उनकी मदद की। पुलिस का दावा है कि पश्चिमी यूपी के 20 बांग्लादेशी युवा अंसर्रुल्ला बांग्ला टीम के संपर्क में थे। ये सभी 20 बांग्लादेशी अब गायब हो गए हैं।