उ. प्र. अखिलेश सरकार एक तरफ तो निशुल्क शिक्षा के दावे करती है और दूसरी तरफ प्राइवेट स्कूलों में विकास शुल्क के नाम पर अभिभावकों से हजारों रूपये लेने की स्वीकृती भी देने से परहेज नहीं रखती। प्रदेश सरकार के संयुक्त शिक्षा निदेशक डाॅ. महेन्द्र देव ने प्राईवेट स्कूलों पर विकास शुल्क के नाम पर हजारों रूपये ऐठनें के प्रतिबंध को हठाते हुए स्वीकृति प्रदान कर दी है जिससे अब सभी प्राइवेट स्कूल मनचाही राशि डेवलपमेंट फीस के रूप में वसूल सकेगें।
15 जनवरी 2010 से विभिन्न मद में इस तरह के शुल्क लिए जाने के खिलाफ सरकार ने प्राइवेट स्कूलों पर लगाम कस रखी थी जिसे अब शासनादेश के क्रम संख्या 01 पर विकास शुल्क लिये जाने की स्वीकृति प्रदान की गई हैं।
सरकार की और से संयुक्त शिक्षा निदेशक की तरफ से इस आदेश को प्रेसीडियम इन्द्रापुरम, गाजियाबाद की प्रधानाचार्य को भेजा गया जिसमें छात्र/छात्राओं हेतु विकास शुल्क लिये जाने सम्बन्धी प्रतिबंध समाप्त किये जाने के बाबत था।
उ. प्र. में चुनावी सुगबुगाहट शुरू हो गई है ऐसे में सरकार को भारी फंड की जरूरत चुनावों के दौरान पड़ने वाली है। क्या ऐसा तो नहीं की अखिलेश सरकार प्रदेश के तमाम अभिवावकों को नज़रअंदाज करते हुए इस तरह के फरमान को जारी करने के पीछे भारी आर्थिक सहायता इन प्राइवेट स्कूलों से प्राप्त करने वाली हैं।