दिल्ली विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक बयानबाजी भी तेज होती जा रही है। भाजपा के नेता आए दिन चुनावी सभाओं में शर्मनाक और समाज को बांटने वाला बयान दे रहे हैं। इस बीच हाल ही में हुए एक ऑपिनियन पोल के मुताबिक, दिल्ली में एक बार फिर से अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में सरकार बन सकती है। दिल्ली के इस विधानसभा चुनाव केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को तगड़ा झटका लग सकती है।

इस ओपिनयन पोल से साफ है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में ही मुख्य मुकाबला रहने की उम्मीद है। ओपिनियन पोल के अनुसार दिल्ली विधानसभा चुनाव में BJP दूसरे स्थान पर और कांग्रेस तीसरे स्थान पर रहेगी। मत प्रतिशत के हिसाब से 2015 की तरह आम आदमी पार्टी इस बार भी सबसे आगे है।
टाइम्स नाउ-IPSOS ऑपिनियन पोल के अनुसार, दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) बेहद मजबूत है और इस चुनाव में उसे 54-60 सीटें मिल सकती हैं। वहीं, भाजपा को 10-14 सीटें मिल सकती हैं। इस ऑपिनियन पोल में कांग्रेस को भी 2 सीटें मिलने का अनुमान है। आप को 52% वोट मिलने का अनुमान है जबकि, भाजपा को 34% वोट मिल सकता है।अगर पोल के अनुमान सीटों में तब्दील होते हैं तो आपको 60 तक सीटें मिल सकती हैं।
हालांकि, 2015 विधानसभा चुनाव के मुकाबले आप के वोट शेयर में 2.5 फीसदी का नुकसान है। जबकि भाजपा को भी 1.7 प्रतिशत वोटों का नुकसान होता दिख रहा है। पोल के अनुसार अगर दिल्ली में अभी लोकसभा चुनाव हुए तो सभी 7 सीटों पर भाजपा जीत सकती है।
इस बार BJP अपने 2015 के प्रदर्शन से बेहतर करेगी, जब पार्टी केवल 3 सीटों पर विजयी हुई थी, जबकि 2015 चुनाव में 67 सीटें जीतने वाली AAP इस बार कम सीटें जीत सकती है। बता दें कि, दिल्ली में विधानसभा की 70 सीटें हैं।
Even, TimesNow is predicting 52% & 54-60 seats for AAP, there is almost 20% gap between AAP & BJP's vote share, Which makes AAP unbeatable, the ground reality is much better for AAP. I am expecting around 55%+ vote share this time. BJP won't be able secure its own hardcore vote. https://t.co/5TKstbjOhf
— Gajendra Sharma (@Airavta) February 3, 2020
बता दें कि, दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर आठ फरवरी को मतदान होगा और 11 फरवरी को मतगणना होनी है। दिल्ली में मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी (आप) और केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच है। हालांकि, कांग्रेस की स्थिति भी पिछले चुनाव के मुकाबले मज़बूत लग रही है।