मध्य प्रदेश के रतलाम में गवर्नमेंट रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने 60 आदिवासी बच्चों को अगवा कर धर्मांतरण करने के आरोप में मंगलवार (23 मई) को नौ लोगों को गिरप्तार किया है। गिरफ्तार लोगों पर मध्य प्रदेश फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है, जीआरपी के अनुसार गिरफ्तार आरोपियों में दो महिलाएं भी शामिल हैं।
जीआरपी के स्टेशन प्रभारी अभिषेक गौतम ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पुलिस की टीम बच्चों की पहचान की पुष्टि के लिए नागपुर और झाबुआ गई है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों के अनुसार वो बच्चों को समर कैम्प में लेकर जा रहे थे। जनसत्ता की ख़बर के अनुसार, जीआरपी को रतलाम स्टेशन पर आदिवासी बच्चों की संदिग्ध मौजूदगी के बारे में शिकायत मिली थी। सभी आदिवासी बच्चों को रतलाम और जाओरा के बाल संरक्षण गृहों में भेज दिया गया है।
जीआरपी के एसपी कृष्णावेणी के अनुसार इंदौर से दो लोगों को 11 बच्चों के साथ इसी आरोप में गिरफ्तार किए जाने के बाद ये बात सामने आयी। एसपी कृष्णावेणी के अनुसार इंदौर में पकड़े गए लोग भी बच्चों को नागपुर लेकर जा रहे थे। रतलाम और इंदौर दोनों जगहों पर कुल मिलाकर 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और कुल 71 बच्चों को बाल संरक्षण गृह भेजा गया है।
साथ ही कृष्णावेणी देसावतु ने कहा, “बच्चों के माता-पिता को लगता था कि बच्चे कैम्प में शामिल होने जा रहे हैं जबकि बच्चों को नागपुर ले जाने का मकसद उन्हें बाइबिल पढ़ाना था। आरोपियों के बयान में आपस में मेल नहीं खाते।” कृष्णावेणी देसावातु ने मंगलवार (23 मई) को कहा कि जीआरपी के पास सोमवार (22 मई) तक बच्चों के जबरन धर्मांतरण कराए जाने से जुड़ा कोई सबूत नहीं था।
बता दें कि, चाइल्ड लाइन की सूचना पर आरपीएफ ने रविवार शाम 7 बजे प्लेटफार्म नंबर 5 पर मेमू ट्रेन से 60 बच्चों को छुड़ाया, जिसमें 28 लड़कियां भी शामिल थी। 12 वर्ष से कम उम्र के आदिवासी समाज के ये बच्चे झाबुआ जिले के रहने वाले हैं।