उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर के बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में नवजातों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। न्यूज एजेंसी भाषा के मुताबिक, मेडिकल कालेज में बीते 48 घंटे के दौरान 35 बच्चों की मौत के मामले आये हैं। जिसके बाद इस साल अब तक कुल 1304 बच्चों की मौत हो चुकी है। वहीं, बच्चों की मौत पर गोरखपुर की एक अदालत ने शुक्रवार(1 सितंबर) को सात लोगों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया।
जांच अधिकारी सी अभिषेक सिंह ने बताया कि मेडिकल कालेज के पूर्व प्राचार्य राजीव मिश्र और उनकी पत्नी पूर्णिमा शुक्ला को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के एक दिन बाद अपर सत्र न्यायाधीश शिवानंद सिंह ने एफआईआर में नामित नौ लोगों में से सात के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया।
वारंट एईएस वार्ड के प्रभारी डॉ. कफील खान, एनेस्थीसिया के डा सतीश, फार्मासिस्ट गजानन जायसवाल, लेखाकार सुधीर पाण्डेय, सहायक क्लर्क संजय कुमार और गैस आपूर्तिकर्ता उदय प्रताप सिंह एवं मनीष भंडारी के खिलाफ जारी हुआ है। नोडल अधिकारी रहे खान को पहले ही पद से हटा दिया गया है। जबकि वारंट जारी होने के एक दिन बाद शनिवार(2 सितंबर) को डॉक्टर कफील खान को गोरखपुर से गिरफ्तार कर लिया है।
बच्चों की मौत के बाद डाक्टर दंपत्ति सहित नौ लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किये गये थे। इस बीच, मेडिकल कालेज के नवनियुक्त प्राचार्य डा. पी के सिंह ने शुक्रवार को भाषा से बातचीत में बताया कि 31 अगस्त को 16 बच्चों की मृत्यु हो गयी, जबकि 19 अन्य बच्चों की आज(शुक्रवार) एनआईसीयू, जनरल एवं इंसेफेलाइटिस वार्डों में मौत हो गयी।
उन्होंने बताया कि 31 अगस्त को 11 बच्चों की एनआईसीयू में, जनरल पीडियाट्रिक में चार और इंसेफेलाइटिस वार्ड में एक बच्चे की मौत हुई, जबकि एक सितंबर को एनआईसीयू में 13, जनरल पीडियाट्रिक वार्ड में चार और इंसेफेलाइटिस वार्ड में दो बच्चों की मौत हुई।
सिंह ने बताया कि जनवरी में 152 बच्चों की मौत हुई। फरवरी में 122, मार्च में 159, अप्रैल में 123, मई में 139, जून में 137, जुलाई में 128 और अगस्त में 325 बच्चों की मौत हुई। इससे पहले पूर्व प्राचार्य मिश्र और उनकी पत्नी को उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने मंगलवार को कानपुर से गिरफ्तार किया गया था। उन्हें अदालत के समक्ष पेश किया गया और अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
मिश्र को मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल पद से 12 अगस्त को निलंबित कर दिया गया था। हालांकि, उन्होंने बच्चों की मौत की घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उसी दिन अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। आरोप हैं कि बच्चों की मौत आक्सीजन आपूर्ति में बाधा के कारण हुई, क्योंकि आपूर्तिकर्ता को कई महीनों से भुगतान नहीं किया गया था।
हालांकि, योगी सरकार ने आक्सीजन की कमी से मौत की बात से इंकार कर चुकी है, लेकिन मुख्य सचिव राजीव कुमार की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय जांच समिति ने मिश्र और अन्य पर लापरवाही और अन्य आरोप लगाये। मिश्र पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने अस्पताल को आक्सीजन गैस आपूर्तकिर्ता का भुगतान समय पर नहीं किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मुख्य सचिव द्वारा सौंपी गयी रिपोर्ट के आधार पर डाक्टर दंपति के खिलाफ कार्रवाई की गयी। योगी ने 12 अगस्त को उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन किया था। गौरतलब है कि बीआरडी मेडिकल कालेज उस समय सुर्खियों में आया, जब 60 से अधिक बच्चों की एक सप्ताह के भीतर मौत हो गयी, जिनमें अधिकांश नवजात थे।