दिल्ली, पंजाब, चंडीगढ़ और जम्मू-कश्मीर समेत उत्तर भारत के कई हिस्सों में सोमवार दोपहर भूकंप के झटके महसूस किए गए।
अमरीकी भूगर्भ सर्वेक्षण के मुताबिक़ भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7.2 थी और इसका केंद्र तज़ाकिस्तान के मुर्गाब के पास जमीन के 28.7 किमी अंदर था।
भूकंप के झटके पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी महसूस किए गए। कई शहरों में लोग घरों और दफ्तरों से बाहर आ गए। सोमवार दोपहर 1 बजकर 10 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए।
उल्लेखनीय है कि 4 दिसंबर को भी दक्षिणी हिंद महासागर में 7.1 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया था, लेकिन इससे जान-माल की किसी प्रकार की क्षति नहीं हुई थी।
यूएसजीएस ने बताया था कि मैकडोनल्ड द्वीप और हर्ड द्वीप के पूर्व-पूवोत्तर में करीब 1020 किलोमीटर दूर सुबह छह बजकर 24 मिनट (अंतरराष्ट्रीय समयानुसार रात दस बजकर 24 मिनट पर) भूकंप आया। इसका केंद्र दक्षिणपूर्व भारतीय रिज में था जो दक्षिणी हिंद महासागर के सागर तल पर स्थित एक टेक्टिोनिक प्लेट सीमा है।
30 नवंबर को नेपाल में भी भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए थे, जिनकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.1 मापी गई थी। यह जानकारी देश के नेशनल सिस्मोलॉजिकल सेंटर ने दी है।
नेपाल में 25 अप्रैल, 2015 को आए भीषण भूकंप के बाद से यहां अब तक कम से कम 414 झटके महसूस किए जा चुके हैं। इससे पांच दिन पहले काठमांडो के गोथाटर इलाके में भी 3.0 तीव्रता का भूकंप आया था।
25 नवंबर को पेरू के पूर्वी हिस्से में 7.5 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया था, लेकिन इससे जान-माल के किसी भी प्रकार के नुकसान की खबर नहीं थी।
22 नवंबर देर रात रात 11 बजकर 49 मिनट पर दिल्ली-एनसीआर सहित जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में भूंकप के झटके महसूस किए गए थे। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.9 मापी गई। देश में सबसे तेज़ झटके जम्मू-कश्मीर में महसूस किए थे।
इससे पहले 26 अक्टूबर को पाकिस्तान का उत्तरी हिस्सा शक्तिशाली भूकंप से दहल गया था जिसमें 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और 1,000 से अधिक घायल हुए थे, वहीं अफगानिस्तान में कम से कम 31 लोग मारे गए थे, जिनमें एक स्कूल की 12 छात्राएं भी शामिल थीं।