लोकसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) के मुद्दे पर कांग्रेस, सपा, बसपा, तृणमूल कांग्रेस सहित सभी प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं ने मंगलवार (21 मई) को राजधानी दिल्ली में एक बैठक की और फिर चुनाव आयोग से जाकर मुलाकात की। इस बैठक में ईवीएम से जुड़ी शिकायतों और वीवीपैट के मुद्दे पर चर्चा की गई।
मंगलवार दोपहर दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में 22 विपक्षी दलों ने बैठक की। विपक्षी नेता चुनाव आयोग से वीवीपैट की पर्चियों का मिलान सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक करने और कई स्थानों पर स्ट्रांगरूम से ईवीएम के कथित स्थानांतरण से जुड़ी शिकायतों पर कार्रवाई की मांग की। विपक्ष का यह भी कहना है कि अगर किसी बूथ पर वीवीपैट की पर्ची का मिलान सही नहीं पाया जाता है तो पूरे संसदीय क्षेत्र की पर्चियां गिनी जाएं।
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— N Chandrababu Naidu (@ncbn) May 21, 2019
विपक्षी नेताओं की बैठक में कांग्रेस से अहमद पटेल, अशोक गहलोत, गुलाम नबी आजाद और अभिषेक मनु सिंघवी, माकपा से सीताराम येचुरी, तृणमूल कांग्रेस से डेरेक ओब्रायन, तेदेपा से चंद्रबाबू नायडू, आम आदमी पार्टी से अरविंद केजरीवाल, सपा से रामगोपाल यादव, बसपा से सतीश चंद्र मिश्रा और दानिश अली, द्रमुक से कनिमोई, राजद से मनोज झा, राकांपा से प्रफुल्ल पटेल एवं माजिद मेमन और कई अन्य पार्टियों के नेता शामिल हुए।
आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि हमने चुनाव आयोग से एक बार फिर से मांग की है कि जिन 5 वीवीपैट की गिनती होनी है, उनकी गिनती शुरुआत में ही हो। कई पूर्व चुनाव आयुक्त हमारे समर्थन में हैं, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी हमारे समर्थन में बयान दिया है।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने जताई चिंता
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में कथित धांधली की रिपोर्टों पर चिंता व्यक्त करते हुए मंगलवार को कहा कि ये मशीनें चुनाव आयोग की हिफाजत में हैं और इनकी सुरक्षा और सभी अटकलों को निराधार साबित करना उसकी जिम्मेदारी है। मुखर्जी ने इससे पहले सोमवार को एक समारोह में सही ढंग से चुनाव संपन्न कराने लिए चुनाव आयोग की सराहना की थी।
Please read my statement below.#CitizenMukherjee pic.twitter.com/UFXkbv06Ol
— Pranab Mukherjee (@CitiznMukherjee) May 21, 2019
पूर्व राष्ट्रपति ने आज एक वक्तव्य में कहा कि देश के लोकतंत्र के मूल आधार को चुनौती देने वाली अटकलों के लिए कोई गुंजाइश नहीं हो सकती। जनादेश पवित्र होता है और इसे किसी भी संदेह से परे होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनका संवैधानिक संस्थाओं पर पूरा भरोसा है और इस नाते उनकी सुविचारित राय है कि संस्थान को चलाने वाले लोग ही यह निर्णय लेते हैं कि उसके सभी अंग कैसे काम करें।