यौन शोषण पर दिल्ली महिला आयोग ने एक सख्त रुख अख्तियार किया है, और केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार दोनों को नोटिस भेज दिया गया है।
सेक्सुअल हरासमेंट अत वर्क प्लेस के तहत सभी संस्थाओ को जहा भी 10 से ज्यादा कर्मचारी होते हैं उन्हें आतंरिक शिकायत समिति का गठन करना होता है। जिसके तहत कोई महिला अपनी शिकायत दर्ज करा सके लेकिन अगर कोई महिला इस समिति के समाधानों से संतुष्ट नहीं है, तो उसे दोबारा अपील करने का अधिकार प्राप्त है, लेकिन वह अपील कहां करनी होगी यह उसको आज तक केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार दोनों ने स्पष्ट नहीं किया है।
ऐसे ही अगर किसी संस्था में 10 से कम कर्मचारी हों तो केंद्र सरकार को जिला स्तर पर अधिकारी चिन्हित करना था, जिसके पास कोई महिला अपनी शिकायत दर्ज करा सके,लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक इस पर कोई स्पष्ट कदम नहीं उठाया है।
वर्तमान हालात को देखते हुए महिला या तो आतंरिक समिति के पास शिक़ायत कर सकती है या फिर न्यायालय का रुख कर सकती है। दिल्ली महिला आयोग ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार दोनों को चिट्ठी लिखकर उनसे अप्प्लेट अथॉरिटी को चिन्हित करने को कहा है।
आयोग ने यह भी कहा है की अगर ये संस्था कार्य कर रही होती तो हमे सेंट स्टीफेंस कॉलेज की पीड़िता को न्याय के लिए भटकना न पड़ता।
इस चिठ्ठी से हम राजनैतिक जुड़ाव भी देख सकते हैं जैसे कि,
स्वाति मलीवाल, महिला आयोग के अध्यक्ष पद पर के नियुक्ति पर उन पर बहुत आरोप लगाए जिनमे सबसे प्रमुख आरोप था की वह ‘आप’ की सदस्य है, हो सकता है की वह अपने इस तरीके के कार्यों से अपने को निष्पक्ष दिखाने की कोशिस कर रही हों।
आतंरिक समिति के लिए आदेश को पारित हुए दो साल से ज्यादा हो गए लेकिन इस पर कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया है जिससे हम यह देख सकते हैं की दोनों सरकारें महिला सुरक्षा के बिंदु पर कितना सख्त है। हमे यह देखना होगा की आखिर अब इसके संज्ञान में आने के बाद क्या कार्रवाई होती होती है और कितने दिनों में होती हैं, लेकिन यह तो स्पष्ट है की महिला आयोग का ये कदम यौन शोषण के विरुद्ध कार्यवाही में एक कारगर उपाय सिद्ध होगा।