मालदा के मुसलमानों और दादरी के हिन्दुओं में ज़्यादा अंतर नहीं है

3

अमित भास्कर

करीब 2 हफ्तों से मेरे फेसबुक पेज और प्रोफाइल पर आने वाले मेसेज से तंग आकर लिख रहा हूँ । लोग मालदा के बारे में मेरी राय जानना चाहते हैं । आप मुझसे इतनी उम्मीद रखते हैं उसके लिए शुक्रिया । लेख ठीक लगे तो शेयर कर दीजियेगा ….

मालदा हो या दादरी इंसान का इंसान का नुकसान करना किसी भी तरह से सही नही ठहराया जा सकता । मालदा में जो मुसलमान कर रहे हैं वो उसी केटेगरी के मुसलमान होंगे जिस केटेगरी के वो दादरी वाले हिन्दू होंगे। उनके खून में भी वही नफरत होगी जो दादरी काण्ड करने वाले लोगों में होगी। वो भी वैचारिक रूप से उतने ही नपुंसक होंगे जितने दादरी काण्ड करने वाले लोग ।

कहा गया की वहां 2 लाख मुसलमान सड़कों पर निकल आये और उत्पात मचा दिया। मुझे खुद पर इतना भरोसा नही है की मैं मान लूँ की 2 लाख लोग हथियार लेकर सड़कों पर उतर आएं और केवल चन्द लोग उठा वैहसिपने का शिकार हुए हों। ये खबर आपको किसने दी की 2 लाख लोग सड़कों पर थे ?

ऐसी ही अफवाह फैलाई गयी की दादरी में हत्या करने वालों की भीड़ लाखों की संख्या में थी। क्या वो भारत माँ की तस्वीर लगाने वाला कोई प्रोफाइल था या अल्लाह को मानने वालों की प्रोफाइल थी ? सत्ता के हाँ में हाँ मिलाने वालों का चैनल था या विपक्षियों के समर्थन करने वाले चैनल ? आप में से था कोई वहां ? मैं तो नही था। फिर ये गिनती कहाँ से आती है और आप इसपर यकीन क्यों कर लेते हैं ये आप जानिये। इससे ये मत समझियेगा की मैं गिनती के खेल में असल मुद्दे से आपको भटका रहा हूँ। दो हों या दो लाख अपराध अपराध है, चाहे एक इंसान के मारने का हो या दस।

मेरी मेनस्ट्रीम मीडिया से भी एक सवाल है। ज़ी न्यूज़ से , इंडिया टीवी से और बाकि सभी चैनलों से भी जिन्होंने सोशल मीडिया पर इस खबर के वायरल होने के बाद अपना कैमरा इस ओर घुमाया। मेरा सवाल ये है की कमलेश तिवारी के विवादित बयान के बाद देशभर में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने धरना प्रदर्शन किया। लखनऊ, मेरठ, शाहजहाँपुर, अलीगढ़, और न जाने कितने ही जगह लाखों के संख्या में लोग शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने सड़कों पर उतरे। सोशल मीडिया पर मुस्लिम मित्रों ने इसे मिसाल बताया की इतने लोग बिना किसी तोड़ फोड़ के शान्तिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे हैं। उस समय ये सब मीडिया वाले कहाँ थे ? उस समय इस मुद्दे को उतनी तरजीह क्यों नही दी गयी ? क्या आप सब इस इंतज़ार में थे की कोई अनहोनी हो तभी दिखाएंगे ?

चलिए इन बातों को सही भी मान के चलूँ तो जानना चाहूँगा की ऐसा क्या कमज़ोर धर्म है आपका भाई साहब की किस के कुछ कह देने भर से आपमें उसके खत्म हो जाने का आतंक मच जाता है ? मेरा ये सवाल दोनों से है वो भी जो राम के नाम पर अपना धंधा चलाते हैं और उसी के नाम पर मार काट करते हैं और वो भी जो अपने पैगंबर ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद साहब के नाम को तभी खतरे में समझते हैं जब कोई उनके बारे में कुछ कह दे ?

इन लोगों को ये क्यों नहीं समझ नहीं आता कि न ही पैगम्बर मोहम्मद साहब और न ही भगवान राम की इज़्ज़त किसी सरफिरे लफंगे के कुछ कह देने से चली जाये।

ज़रा इस्लाम का मुताला कीजिये और हिन्दू ग्रन्थ भी पढ़ लीजिये तो ऐसी अनेक मिसालें मिल जाएंगी जब पैग़म्बर साहब और भगवान राम को उनके जीवन में लोगों के कटुवाक्यों का सामना करना पड़ा। लेकिन कभी ऐसा हुआ कि इन दोनों हस्तियों ने उन लोगों का सर काटने का हुक्म दिया या उनके अनुयायियों ने उत्पात मचाई हो।

आप लोगों को इतना फालतू टाइम मिल कहाँ से जाता है तलवार लेके, बन्दूक लेके आगजनी करने निकल पड़ते हैं ?

इतने बेकार है तो कुछ सकारात्मकता में ध्यान लगाइये न ।आपके मोहम्मद और उनके राम इतने छोटे नहीं है कि कुछ बयानों से नाराज़ हो जाए और न ही उनकी शान इतनी कम है की कुछ कह भर देने से कम हो जाए ।

हैसियत घर चलाने की नहीं, बच्चों की अच्छी शिक्षा देने की नहीं और चले हैं पैगंबर ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद साहब और राम जी की इज्ज़त की रखवाली करने। नौकरी करिये , परिवार चलाइये , बच्चों को पढ़ाइये, बुजुर्गों का सम्मान करिये , आपके पैगम्बर और उनके राम दोनों अपनी महानता के उस चरण पर हैं जहाँ न आप कभी जा सकते हैं और न कभी अपनी गन्दी नियत से उनके स्थान को अपवित्र कर सकते हैं।

कुछ लोगों के बहकावे में आकर नेताओं के पिट्ठू बनना छोड़ दीजिये । दंगा करने जा रहे भीड़ में जुड़िये मत उसमे जा रहे लोगों को वापस बुला लीजिये , घर ले जाइए और दिखाइये की उनका इष्ट उनके बच्चों में और माँ बाप में हैं बाहर की भीड़ में नहीं ।

Amit Bhaskar is an independent journalist. The views expressed here are author’s own

Previous article12 दिन से लापता टीवी एक्टर का कोई सुराग नहीं
Next articleUP Police to appoint ‘digital volunteers’ to intercept provocative social messages