Richa Varshney
हाल में अरविंद केजरीवाल के ठुल्ला वाले बयान ने एक बड़े विवाद को जन्म देश दिया| आइये, हम आपको पुलिस और ठुल्ले के बीच का अंतर बताते हैं|
पुलिस: जिनकी वजह से हम रात को चैन से सो सके.. वो जो देश का गौरव बढाये .. जो रात दिन देश की सेवा में खुद को न्योछावर कर दें, जिनके लिए न दिन है न रात, न छुट्टियां न त्यौहार, न परिवार, न धूप न छाँव, न सर्दी न गर्मी सब कुछ छोड़ कर वो सिर्फ देश की सुरक्षा में तल्लीन रह कर देशवासी एवं देश के कानून की रक्षा करते हैं जिसके वजह से कोई भी अपराधी अपराध करने से डरे और देशवासी सुरक्षित महसूस कर सके|
भले ही इनको बहुत आलीशान मकान या रहन सहन या सुविधाएं मुहैया नही होती है इसके वाबजूद इनके साहस और शौर्ये में कहीं कोई कमी होती| मुंबई में हुए आतंकवादियों के हमले में पुलिस के द्वारा किये साहस की जितनी भी प्रशंसा करे वो काम ही होगी.. चाहे वो 2011 या 2008 का आतंकवादियों का हमला हो ,हर बार आतंकवादियों को मुँह की खानी पड़ी| उन भारत के लाल को हम प्रणाम करतें हैं
दूसरी ओर ठुल्ला वो है जो पुलिस का नाम खराब करते है|
गरीबों को सताकर पैसे की उगाही करने वाला, 200 रूपये के लिये देश का मान बढाने वाले पहलवान को चलती रेल से धकका मारकर जान लेने वाला, वर्दी को अपमानित करने वाला, जिनके कारण अपराधी इतने साहसी हो जाए कि सड़क चलते लडकी को 30, 35 बार चाकू से मार डाले..वो जो जनता के सवाल पूछने पर उनको लाठियो से लहूलुहान कर दे, जो गरीबो को सताए और अमीरो की जी हुज़ूरी करे| वे ठुल्ले होते हैं
इन कुछ चंद लोगों की वजह से हम पुलिस को हमे अपना आदर्श मानने की वजाए उन्हें लालच की मूरत मान लेते हैं| जो हमारे लिए देश का गौरव होना चाहिए वो आज कुछ सिक्को के लिए हमारे देश के इन वीरो का नाम ख़राब कर रहे हैं| काश एक ऐसा दिन आए जब इन चंद लोगों का ईमान जाग जाए और फिर से सभी को पुलिस के सिस्टम पर विश्वास हो जाए क्यूंकि देश की पुलिस देश का होना चाहिए
कुछ सिक्कों के लिए जो अपना सिर झुकादे, वह हमारे आदर्श नहीं हो सकते …जय हिन्द जय भारत
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