बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बुधवार को महागठबंधन ने संयुक्त रूप से उम्मीदवारों का ऐलान किया। प्रेस कांफ्रेंस में जदयू से नीतीश कुमार, राजेडी से रामशंकर और अशोक चौधरी कांग्रेस से सीटों की घोषणा के लिए प्रेस के सामने आए।
इस दौरान नीतीश ने कहा, समाज के हर तबके और हर समुदाय के लोगों को इसमें शामिल किया गया है। आज 242 सीटों का ऐलान कर कर दिया गया है, जिसमें 16 प्रतिशत उम्मीदवार सामान्य वर्ग से, 55 प्रतिशत ओबीसी से और 14 प्रतिशत उम्मीदवार मुस्लिम वर्ग से शामिल किए गए हैं। जबकि एक और सीट का एलान कुछ दिन बाद किया जाएगा।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नीतीश कुमार ने कहा, “महागठबंधन में किसी तरह का कोई विवाद नहीं है। पहले सीटों का बंटवारा हुआ और फिर हमने लंबी चर्चा के बाद उम्मीदवारों के नाम पर विचार कर नामों की संयुक्त सूची जारी किए हैं।’”
इस सूची में लालू के दोनों बेटे इस बार चुनावी मैदान में हैं। लालू ने सबसे ज्यादा 48 यादव उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है। लालू के दोनों बेटे तेजस्वी और तेज प्रताप राघोपुर और महुआ से क्रमशः चुनाव लड़ेंगे।
इस दौरान नीतीश ने कहा कि महागठबंधन की ओर से वह और उनका गठबंधन विकास के मुद्दे पर ही चुनाव लड़ने वाला है। यही उनका सबसे अहम मुद्दा है।
साथ ही एनडीए गठबंधन पर निशाना सादते हुए सीएम ने कहा, ‘आप देख रहे होंगे कि बीते कुछ हफ्तों से उनके अंदर खूब खींचतान चल रही है। खैर यह उनका अंदरुनी मामला है, हमारे यहां ऐसा नहीं होता।’
कुमार ने इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण संबंधी बयान पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वह संविधान के खिलाफ जाना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, “वह चाहते हैं कि जो संवैधानिक व्यवस्था है उससे इतर एक दूसरी व्यवस्था बनाई जाए। वो चाहते हैं कि कमिटी बने जो तय करे कि किसे आरक्षण दिया जाए और कितने दिनों तक दिया जाए। यानी वो चाहते हैं कि एलिट कमिटी बने, जो आरक्षण को लेकर नीति बनाए। मतलब कि सरकार भी इसमें शामिल नहीं हो। यह विचार काफी खतरनाक है।“