वाराणसी से सांसद चुने जाने और पीएम बनने के बाद ‘नमामी गंगे’ मोदी के खास प्रोजेक्टों में से एक है। गंगा सफाई के लिए सरकार ने पांच सालों के लिए 20 हजार करोड़ का भारी-भरकम बजट भी तैयार किया है, लेकिन 2015-16 की पहली तिमाही में अब तक इस योजना पर एक रुपए भी खर्च नहीं हुआ है। इसकी जानकारी केंद्र सरकार ने आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना में दी है। यह आरटीआई लखनऊ के राजाजीपुरम की रहने वाली ऐश्वर्य पराशर ने दायर की थी। वह सिटी मांटेसिरी स्कूल मे क्लास 9 की स्टूडेंट हैं।
तीन बिंदुओं पर मांगी जानकारी
ऐश्वर्य बताती हैं कि उन्होंने समाचार पत्रों में गंगा सफाई और संरक्षण से जुड़ी मोदी की नमामी गंगे योजना के बारे में पढ़ा था। खबरों में केंद्र सरकार द्वारा नमामी गंगे के लिए 20 हजार करोड़ रुपए आवंटित किए जाने की बात कही गई थी। इसके बाद उसने 26 मई को पीएमओ ऑफिस में आरटीआई दाखिल की। आरटीआई में ऐश्वर्य ने तीन बिंदुओं पर जानकारी मांगी। वित्त वर्ष 2014-15 और 2015-16 में गंगा नदी की साफ-सफाई पर कितना रुपए खर्च हुआ? इस संबंध में आयोजित बैठकों की जानकारी मांगी।
पीएमओ के केंद्रीय सूचना अधिकारी और अवर सचिव बी़ क़े राय ने चार जून को ऐश्वर्य का आरटीआई आवेदन जल संसाधन नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के सचिव को भेज दिया था। जल संसाधन नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के उप सचिव एल़ बी़ तुओलते ने इस संबंध में ऐश्वर्य को 22 जून को पत्र के माध्यम से सूचना भेजी।
2015-16 की पहली तिमाही में एक भी रुपए
तुओलते ने ऐश्वर्य को यह भी बताया है कि सरकार ने वित्त वर्ष 2015-16 की पहली तिमाही में गंगा साफ-सफाई पर एक पैसा भी नहीं खर्चा है। भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2014-15 में गंगा नदी की साफ-सफाई से संबंधित ‘नमामी गंगे’ योजना पर कुल 324 करोड़ 88 लाख रुपए खर्च किए थे। इसमें से 90 करोड़ रुपये गैर सहायतित परियोजनाओं पर और 324 करोड़ 88 लाख रुपये सहायतित परियोजनाओं पर खर्चे गए।
2015-16 की पहली तिमाही में अब तक नहीं हुई कोई मीटिंग
ऐश्वर्य को दी गई सूचना के अनुसार, साल 2014-15 में गंगा साफ -सफाई पर दो मीटिंग हुई। यह मीटिंग 27 अक्टूबर 2014 और 26 मार्च 2015 को हुईं थीं। वहीं, साल 2015-16 में गंगा साफ -सफाई पर अब तक कोई मीटिंग नहीं हुई है।
क्या है नमामी गंगे अभियान
‘नमामी गंगे’ गंगा की सफाई और संरक्षण से जुड़ी पीएम नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना है। इस कार्यक्रम के लिए पिछले तीन दशक में नदी की सफाई और संरक्षण पर जितना धन खर्च किया गया है, उसमें चार गुना बढ़ोतरी करते हुए 20,000 करोड़ रुपये का बजट किया गया था। इस प्रोजेक्ट के तहत गंगा नदी को व्यापक तरीके से स्वच्छ और संरक्षित किया जाना है।
ऐशवर्य लिखेंगी मोदी को लेटर
ऐश्वर्य कहती हैं कि गंगा नदी का सबसे प्रदूषित नदी में शामिल होना दुर्भाग्यपूर्ण हैं। इसके लिए जनता में जागरुकता की कमी, उद्योगपतियों के निहित स्वार्थ और सरकारी योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार मुख्य वजह हैं। गंगा का प्रदूषण स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सुरक्षित बताए गए प्रदूषण के स्तर से तीन हजार गुना ज्यादा है। अब वह इस संबंध में मोदी को पत्र भी लिखेंगी।
वह कहती हैं कि एक समय लंदन की ‘टेम्स’ नदी भी ब्रिटेन की सर्वाधिक प्रदूषित नदी थी, लेकिन आज वह ब्रिटेन की सर्वाधिक साफ नदियों में से एक है। मोदी को भी गंगा की सफाई के लिए ‘टेम्स’ की तर्ज पर तैयार की गई योजनाओं पर काम करना होगा। इस योजना के समुचित क्रियान्वयन और प्रबंधन का अनुरोध करेंगी।