सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों की ओर से चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ मोर्चा खोले जाने के बाद सुलह की कोशिशें तेजी से चल रही हैं। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष विकास सिंह ने रविवार (14 जनवरी) को प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र से मुलाकात की और शीर्ष न्यायालय में संकट को लेकर उन्हें एक प्रस्ताव सौंपा। प्रधान न्यायाधीश ने उस पर गौर करने का आश्वासन दिया।

इस बीच प्रेस कॉन्फेंस कर चीफ जस्टिस के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले चारों जजों के समर्थन में युवाओं का एक ग्रुप सोशल मीडिया पर वीडियो जारी किया है। जजों के समर्थन में युवाओं द्वारा तैयार की गई ‘काली सेना’ नाम के इस ग्रुप का वीडियो सोशल मीडिया वायरल हो रहा है। दरअसल, ‘काली सेना’ युवाओं द्वारा बनाई गई एक ग्रुप है जो सांस्कृतिक तरीके से जजों का समर्थन कर रही है और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से असंतुष्ट चारों न्यायधीशों के समर्थन में एक वीडियो बनाया है।
युवाओं द्वारा तैयार किया गया यह वीडियो सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है। दो मिनट 35 सेकंड के इस वीडियो में दिख रहे युवाओं (लड़के-लड़कियां) ने एक ही कलर की ‘काली सेना’ की ड्रेस पहन रखी है। काली सेना के नाम से फेसबुक पर एक पेज बनाकर इस वीडियो को अपलोड किया गया है। खबर लिखे जाने तक इस वीडियो को पांच हजार से अधिक लोग देख चुके हैं। फेसबुक पर इस वीडियो को काफी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है।
(देखिए वीडियो)
Kali Sena supports the four SC judges for their courage: the nation is with you
Posted by Kali Sena on Sunday, 14 January 2018
चार पूर्व न्यायाधीश ने भी जजों का किया समर्थन
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश समेत चार सेवानिवृत्त जजों ने भी देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस दीपक मिश्रा को खुला पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने केसों के आवंटन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों द्वारा उठाए गए सवालों का समर्थन किया है। यह भी कहा कि मौजूदा संकट का समाधान न्यायापालिका के भीतर ही किया जाना चाहिए।
पत्र लिखने वालों में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश पीबी सावंत, दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एपी शाह, मद्रास हाई कोर्ट के पूर्व जज के. चंद्रू और बांबे हाई कोर्ट के पूर्व जज एच. सुरेश शामिल हैं। पूर्व न्यायाधीशों द्वारा लिखा गया पत्र सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया है। न्यायमूर्ति शाह ने अन्य सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के साथ एक पत्र लिखे जाने की पुष्टि की है।
उन्होंने कहा कि हमने खुला पत्र लिखा है जिस पर पत्र में उल्लिखित अन्य न्यायाधीशों की भी सहमति ली गई है। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्त न्यायाधीशों द्वारा जाहिर किया गया विचार वही है जो सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन का था कि इस संकट के हल होने तक महत्वपूर्ण विषयों को वरिष्ठ न्यायाधीशों की पांच सदस्यीय एक संविधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाना चाहिए।
चार सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने कहा कि वे सर्वोच्च न्यायालय के चार मौजूदा न्यायाधीशों की इस बात से सहमत हैं कि हालांकि प्रधान न्यायाधीश मास्टर ऑफ रोस्टर हैं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि पीठों को काम का बंटवारा मनमाने तरीके से किया जाए, जैसे कि संवेदनशील और अहम मुद्दे प्रधान न्यायाधीश द्वारा कनिष्ठ न्यायाधीशों की चुनिंदा पीठों को भेजे जाते हैं।
उन्होंने कहा कि इन मुद्दों को सुलझाए जाने की जरूरत है। स्पष्ट नियम-कायदे अवश्य ही निर्धारित किए जाने चाहिए जो तार्किक, निष्पक्ष और पारदर्शी हों। आजाद भारत के इतिहास में शुक्रवार को पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चार जजों द्वारा मीडिया के सामने आकर चीफ जस्टिस को लेकर किए खुलासे को लेकर पूर्व न्यायाधीशों ने चिंता व्यक्त की है।
Rifat Jawaid on the revolt by Supreme Court judges
Posted by Janta Ka Reporter on Friday, 12 January 2018
CJI के खिलाफ जजों ने खोला मोर्चा
बता दें कि शुक्रवार को आजाद भारत के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने मीडिया के सामने आकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल उठाए। अभूतपूर्व घटना में जजों ने मुख्य न्यायाधीश (सीजेआी) दीपक मिश्र के खिलाफ सार्वजनिक मोर्चा खोल दिया। प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद चारों जजों ने एक चिट्ठी जारी की, जिसमें सीजेआई की कार्यप्रणाली पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
सीजेआई के बाद वरिष्ठता में दूसरे से पांचवें क्रम के जजों जस्टिस जे. चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एमबी लोकुर व जस्टिस कुरियन जोसेफ ने आरोप लगाया कि ‘सुप्रीम कोर्ट प्रशासन में सब कुछ ठीक नहीं है। कई चीजें हो रही है जो नहीं होनी चाहिए। यह संस्थान सुरक्षित नहीं रहा तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा।’ जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि हमने हाल में सीजेआइ को पत्र लिखकर अपनी बात रखी थी। शुक्रवार को भी शिकायत की, लेकिन वह नहीं माने।
इसीलिए लोकतंत्र की रक्षा के लिए मीडिया के सामने आना पड़ा। उन्होंने मीडिया को सात पेज की वह चिट्ठी भी बांटी जो सीजेआई को लिखी थी। उसमें पीठ को केस आवंटन के तरीके पर आपत्ति जताई गई है। जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया के एक मुद्दे का तो उल्लेख है, पर माना जा रहा है कि यह खींचतान लंबे अर्से से चल रही थी। शायद सीबीआई जज बीएच लोया की मौत का मुकदमा तात्कालिक कारण बना, जिस पर शुक्रवार को ही सुप्रीम कोर्ट की अन्य बेंच में सुनवाई थी।