उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकारी नौकरी को लेकर अजीबोगरीब बयान दिया है कि जिसे सुनकर नौजवान सोचने पर मजबूर हो जाएंगे। दरअसल सीएम योगी के मुताबिक वे युवाओं को रोजगार देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन योग्य उम्मीदवार ही नहीं मिल रहे हैं जो आगे आकर परीक्षा पास करें और नौकरी करें। कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि योगी आदित्यनाथ ने योग्य और शिक्षित, लेकिन बेरोजगार नौजवानों का घोर अपमान किया है।
कांग्रेस ने कहा कि उनका यह कहना कि ‘राज्य में नौकरियां तो बहुत हैं, लेकिन योग्य उम्मीदवार नहीं हैं’ बहुत ही हास्यास्पद और निंदनीय है। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता डॉ. उमाशंकर पांडेय ने कहा कि शायद मुख्यमंत्री को यह जानकारी नहीं है कि यह प्रदेश देश को प्रतिवर्ष सर्वाधिक आईएएस देता है। देश के 15 प्रतिशत आईएएस उत्तर प्रदेश की धरती से आते हैं।
उन्होंने कहा कि एक रिपोर्ट के अनुसार, 4443 आईएएस अधिकारियों में से 671 उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। सन् 1972 से 2017 तक उत्तर प्रदेश के युवाओं ने पांच बार आईएएस की परीक्षा में टॉप किया है। लखनऊ का केजीएमयू पूरे भारत में सबसे अच्छी मानी जाती है। यहां से निकले डॉक्टर देश एवं विदेश की बड़ी चिकित्सा संस्थाओं में बड़े-बड़े पदों पर हैं।
योगी ने क्या कहा?
ABP न्यूज के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में रोजगार के मुद्दे पर सीएम योगी ने कहा कि वे युवाओं के रोजगार देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि जिनकी वैकेंसी थीं उन्हें पहले चरण में भरा जा रहा है। हमें एक लाख 37 हजार शिक्षकों की नियुक्ति करनी है। सीएम ने कहा कि जब हमने 68 हजार वैकैंसी निकाली तो एक लाख आवेदन भी नहीं मिले। जब टेस्ट हुआ तो केवल 40 हजार की पास हो पाए। 68,500 की वैकेंसी एक बार फिर निकालने जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हमें एक लाख 37 हजार शिक्षक रखने हैं लेकिन योग्य उम्मीदवार ही नहीं मिल पा रहे हैं जो आगे आकर परीक्षा पास करें और नौकरी करें। पुलिस में भी हमें एक लाख 62 हजार भर्ती करनी हैं। सीएम ने कहा कि 35 हजार की भर्ती जा चुकी है, 42 हजार एक वक्त प्रचलित है, अक्तूबर में 50 हजार भर्ती की प्रक्रिया हम शुरू करने जा रहे हैं। सरकारी नौकरी की कहीं कोई कमी नहीं है। प्रदेश ने इन्वेस्टर समिट के माध्यम से 5 लाख करोड़ के एमओयू साइन किए हैं।
कांग्रेस का पलटवार
समाचार एजेंसी IANS के मुताबिक प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता डॉ. उमाशंकर पांडेय ने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय अब तक सबसे अधिक आईएएसए, आईपीएस एवं अन्य सिविल सर्विसेज में बढ़त बनाए हुए है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, आईआईएम लखनऊ, आईआईटी कानपुर, इलाहाबाद का मोतीलाल इंजीनियरिंग कॉलेज, गोरखपुर का मदन मोहन इंजीनियरिंग कॉलेज, पीजीआई-लखनऊ जैसी कई संस्थाएं उप्र में हैं जो होनहार छात्रों को प्रतिवर्ष प्रदेश एवं देश की सेवा के लिए तैयार करती हैं और मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि यहां पर ‘योग्य युवाओं की कमी है’।
उन्होंने कहा, “प्रदेश सरकार अपनी अकर्मण्यता को छुपाने के लिए इस तरह के अनाप-शनाप बयान दे रही है। आज ही समाचारपत्रों में 46 हजार शिक्षकों की भर्ती करने के बजाय 9 हजार को निकालकर यह दिखा दिया है कि प्रदेश में लोकतंत्र नहीं, नादिरशाही है।” उन्होंने कहा कि जब परीक्षा हो जाती है, तो उसके बाद चयन प्रक्रिया में किसी प्रकार का बदलाव न्यायोचित नहीं है, मगर इस सरकार ने ऐसा अन्याय किया है, जिस वजह से लगभग 9 हजार अभ्यर्थी सरकारी नौकरी पाने से वंचित हो गए।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश में लगभग 5 करोड़ युवा बेरोजगार हैं और प्रदेश के मुख्यमंत्री को उन 5 करोड़ युवाओं में योग्य उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं। इसका सीधा तात्पर्य है कि डेढ़ वर्ष के शासनकाल में यह सरकार ऐसा कोई भी कार्य नहीं कर पाई कि 5 करोड़ युवाओं में से सरकारी नौकरियां में उनकी भर्ती कर सके। डॉ. पांडेय ने कहा कि मुख्यमंत्री ने सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन की मांग मानने की बात तो दूर, उल्टे उन्हें चेतावनी दी कि जो कर्मचारी ठीक से कार्य नहीं करेगा तो उसे 50 वर्ष की आयु में ही सेवानिवृत्त कर दिया जाएगा।