असम में सोमवार (30 जुलाई) को बहुप्रतीक्षित नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) के दूसरे और अंतिम मसौदे को जारी कर दिया है। जिसके मुताबिक कुल 3.29 करोड़ आवेदन में से इस लिस्ट में 2.89 करोड़ लोगों को नागरिकता के योग्य पाया गया है, वहीं करीब 40 लाख लोगों के नाम इससे बाहर रखे गए हैं। बता दें कि कुल 3,29,91,384 लोगों ने नागरिकता के लिए आवेदन किया था, जिनमें से 2,89,38,677 को नागरिकता के लिए योग्य पाया गया है। एनआरसी का पहला मसौदा 31 दिसंबर और एक जनवरी को जारी किया गया था, जिसमें 1.9 करोड़ लोगों के नाम थे।

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर 40 लाख लोगों का क्या होगा? राज्य सरकार का कहना है कि जिनके नाम रजिस्टर में नहीं है उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए एक महीने का समय दिया जाएगा। दरअसल यह आखिरी लिस्ट नहीं है बल्कि मसौदा है। जिनका नाम इस मसौदे में शामिल नहीं है वो इसके लिए दावा कर सकते हैं। हालांकि इसके बावजूद इसको लेकर असम में तनाव है।
क्या है NRC मसौदा?
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर असम में वैध तरीके से रह रहे नागरिकों का रिकॉर्ड है। इसे 1951 की जनगणना के बाद तैयार किया गया था। इसमें यहां के हर गांव के हर घर में रहने वाले लोगों के नाम और संख्या दर्ज की गई। एनआरसी की सूची में वैध तरीके से असम में रहने वाले सभी भारतीय नागरिकों के नाम पते और फोटो हैं। कुल 3.29 करोड़ आवेदन में 2.89 करोड़ लोगों के नाम नेशनल रजिस्टर में शामिल किए जाने के योग्य पाए गए हैं। वहीं 40 लाख लोग वैध नागरिक नहीं पाए गए।
यह पहला मौका है जब राज्य में अवैध रूप से रहने वाले लोगों के बारे में जानकारी मिल सकेगी। देश में लागू नागरिकता कानून से थोड़े अलग रूप में राज्य में असम समझौता 1985 लागू है। इसके मुताबिक 24 मार्च 1971 की आधी रात तक सूबे में प्रवेश करने वाले लोगों को भारतीय नागरिक माना जाएगा।
40 लाख अवैध लोगों के पास कौन सा विकल्प है?
नागरिकता के लिए कुल 3,29,91,384 लोगों ने आवेदन किया था, जिनमें से 2,89,38, 677 को नागरिकता के लिए योग्य पाया गया है। जिन 40 लाख लोगों का नाम इस सूची में शामिल नहीं है उनके पास अभी भी दावा करने का दूसरा अवसर है। एनआरसी कोऑर्डिनेटर ने कहा कि इस मसौदे के आधार पर किसी भी नागरिक को फिलहाल डिटेंशन सेंटर में नहीं भेजा जाएगा। इस रजिस्टर में उन्हीं लोगों के नाम शामिल किए जाएंगे, जो खुद को साबित कर पाएंगे कि उनका जन्म 21 मार्च, 1971 से पहले असम में हुआ था।
राजनाथ सिंह बोले- घबराने की जरूरत नहीं
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि असम के लिए एनआरसी का मसौदा पूरी तरह ‘निष्पक्ष’ है। जिनका नाम इसमें शामिल नहीं है उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि उन्हें भारतीय नागरिकता साबित करने का मौका मिलेगा। लोकसभा में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसमें केंद्र की कोई भूमिका नहीं है। मैं विपक्ष से पूछना चाहता हूं कि इसमें केंद्र की क्या भूमिका है? यह सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुआ है। ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “यह ड्राफ्ट सूची है, अंतिम सूची (फाइनल लिस्ट) नहीं है। अगर किसी का नाम फाइनल लिस्ट में भी नहीं आता है, तो भी वह विदेशी न्यायाधिकरण में जा सकता है। किसी के भी विरुद्ध बलपूर्वक कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी, इसलिए किसी को भी घबराने की जरूरत नहीं है।”
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा है कि किसी को भी घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि जिनका नाम सूची में नहीं है, उनके खिलाफ किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। सिंह ने कहा, “कुछ लोग अनावश्यक रूप से डर का माहौल पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। यह पूरी तरह निष्पक्ष रिपोर्ट है। किसी भी तरह की गलत सूचना नहीं फैलाई जानी चाहिए। यह एक मसौदा है ना कि अंतिम सूची।’’
ममता ने साधा निशाना
वहीं इस अंतिम मसौदे के आने के बाद से राजनीति भी शुरू हो गई है। टीएमसी सांसदों के हंगामे की वजह से एक बार राज्यसभा स्थगित करना पड़ा गया तो पार्टी की मुखिया ममता बनर्जी ने प्रेस कांन्फ्रेंस कर जमकर खरी-खोटी सुनाई। बनर्जी ने कहा कि क्या अब इन लोगों को जबरदस्ती निकाला जाएगा। बनर्जी ने कहा कि सरकार की नीति बांटो और राज करो है। मुख्यमंत्री ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से संशोधन लाने की मांग करते हुए कहा कि जिन 40 लाख लोगों के नाम डिलीट कर दिए गए हैं वे कहां जाएंगे? क्या केंद्र के पास इन लोगों के पुनर्वास के लिए कोई कार्यक्रम है? अंतत: पश्चिम बंगाल को ही इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। ये बीजेपी की वोट राजनीति है।
उन्होंने कहा कि ऐसे भी लोग हैं, जिनके पास आधार कार्ड, पासपोर्ट आदि हैं, लेकिन उनका नाम मसौदे में नहीं है। लोगों के नाम उनके उपनाम (सरनेम) के आधार पर हटाए गए हैं। क्या सरकार जबरदस्ती लोगों को निकालना चाहती है? असम में एनआरसी के मुद्दे पर सोमवार (30 जुलाई) को संसद में जमकर हंगामा हुआ। राज्यसभा में कांग्रेस, सपा और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों के हंगामे की वजह से राज्यसभा की बैठक एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।