केरल हाईकोर्ट ने आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता के एक आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि आतंक से संबंधित वीडियो देखना और जिहादी साहित्य पढ़ने से कोई आतंकवादी नहीं बन जाता। न्यायमूर्ति एएम शफीक और न्यायमूर्ति पी सोमराजन की पीठ ने मुहम्मद रियास नाम के एक व्यक्ति की एक अपील पर विचार करते हुए यह टिप्पणी की। आरोपी ने अपनी जमानत नामंजूर किए जाने के राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अदालत के आदेश को चुनौती दी थी।

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, रियास ने कहा कि वह किसी भी आतंकी संगठन का हिस्सा नहीं था। रियास ने अपनी अपील में दलील दी थी कि उससे अलग रह रही उसकी हिंदू पत्नी की शिकायत के बाद उसे आतंकी आरोपों पर गिरफ्तार किया गया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह केवल वैवाहिक विवाद से जुड़ा मामला है या उसकी पत्नी ने किसी के दबाव में आकर उसके खिलाफ ये आरोप लगाए हैं।
गौरतलब है कि उनकी पत्नी ने इस्लाम धर्म अपना लिया था। सुनवाई के दौरान केंद्रीय एजेंसी एनआईए ने दलील दी कि रियास के पास से दो लैपटाप जब्त किए गए जिसमें जिहाद आंदोलन के बारे में साहित्य, इस्लामी उपदेशक जकीर नाइक के भाषणों के वीडियो और सीरिया में युद्ध से जुड़े कुछ वीडियो हैं।
हालांकि, पीठ ने कहा कि इस तरह के वीडियो सार्वजनिक हैं और लोगों के बीच हैं। सिर्फ इसलिए कि कोई व्यक्ति इन चीजों को देखता है, उसे लेकर उसे आतंकवाद में संलिप्त ठहराना संभव नहीं है्।