उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद वरुण गांधी ने शनिवार (16 दिसंबर) को कहा कि ‘गांधी’ उपनाम की वजह से उनको कम उम्र में दो बार लोकसभा के सदस्य बनने में मदद मिली। उन्होंने कहा कि ‘प्रभावशाली’ पिता या गॉडफादर के बिना राजनीति में जगह बनाना मुश्किल है। गांधी ने हैदराबाद में एक सेमिनार के दौरान यह बात कही।

उन्होंने कहा कि, ‘‘मैं आपके पास आया हूं और आप हमें सुन रहे हैं। लेकिन तथ्य यह है कि मेरे नाम में अगर गांधी नहीं होता तो मैं दो बार सांसद नहीं बनता और आप मुझे सुनने के लिए यहां नहीं आते।’’ गांधी ने कहा कि कई प्रतिभाशाली युवा राजनीति से जुड़ नहीं पा रहे हैं और जगह नहीं बना पा रहे हैं, क्योंकि उनके पास प्रभावशाली पिता या गॉडफादर नहीं है।
इसके अलावा वरुण गांधी ने अमीर-गरीब के बीच असमानता पर भी तल्ख टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि पिछले 15 वर्षों में कम से कम 14 लाख किसान या आमलोगों को सिर्फ इसलिए जेल जाना पड़ा है कि वे 25 हजार रुपये का कर्ज नहीं चुका पाए थे। वहीं, दूसरी तरफ जिन धनी लोगों ने बैंकों का करोड़ों रुपये ले रखा है वे अपनी बेटियों की पूरी शान-शौकत से शादी करते हैं।
गांधी ने कहा कि, ‘देश में जब तक सभी के लिए एक समान कानून नहीं होगा, तब तक हम सपनों का भारत नहीं देख पाएंगे। लोगों के बीच अभी भी बहुत असमानताएं हैं।’ साथ ही उन्होंने दावा किया कि देश की 60 प्रतिशत संपत्ति एक फीसद लोगों के पास है।
गौरतलब है कि वरुण गांधी इससे पहले भी ‘गांधी’ सरनेम को लेकर बयान देते रहे हैं। पिछले महीने भी वरुण गांधी ने वंशवाद की राजनीति पर करारा हमला बोलते हुए कहा था कि ‘मैं फिरोज वरुण गांधी हूं। यदि मेरा सरनेम ‘गांधी’ नहीं होता, तो क्या मैं 29 साल की उम्र में सांसद बन सकता था?’ उन्होंने कहा था कि मैं ऐसा भारत देखना चाहता हूं, जहां मेरे वरुण दत्त, वरुण घोष या वरुण खान होने से कोई फर्क न पड़े। सबको बराबर मौके मिलने चाहिए।