उत्तराखंड के चमोली जिले में हिमखंड टूटने के कारण अचानक आई बाढ़ के बाद तपोवन ऊर्जा परियोजना में काम करने वाले कम से कम 150 लोगों के मारे जाने या लापता होने की आशंका है। भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के प्रवक्ता ने बताया कि रैणी गांव में कम से कम तीन पुलों के ढहने के कारण बल की कुछ सीमा चौकियों से संपर्क पूरी तरह टूट गया है। जो पुल ढहे हैं, उनमें से एक सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) का है।
आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक कुमार पांडे ने दिल्ली में कहा, ‘‘तपोवन के परियोजना स्थल प्रभारी तथा स्थानीय प्रशासन के मुताबिक बैराज पर काम कर रहे 100 से ज्यादा लोगों और एक सुरंग में काम कर रहे 50 से अधिक लोगों के मारे जाने या लापता होने की आशंका है। अब तक तीन लोगों के शव मिल गए हैं।’’
उन्होंने बताया कि अभी बचाव काम में आईटीबीपी के 250 से अधिक जवान लगे हैं। पांडे ने कहा कि सुरंग में करीब 16-17 श्रमिक सुरक्षित हैं और उन्हें बचाने के लिए बचाव दल मलबा हटा रहे हैं।
बाढ़ से चमोली जिले के निचले इलाकों में खतरा देखते हुए राज्य आपदा प्रतिवादन बल और जिला प्रशासन को सतर्क कर दिया गया है। हालांकि, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि नदी के बहाव में कमी आई है जो राहत की बात है और हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है।
रावत ने ट्वीट किया, ‘‘राहत की खबर ये है कि नंदप्रयाग से आगे अलकनंदा नदी का बहाव सामान्य हो गया है। नदी का जलस्तर सामान्य से अब एक मीटर ऊपर है लेकिन बहाव कम होता जा रहा है। राज्य के मुख्य सचिव, आपदा सचिव, पुलिस अधिकारी एवं मेरी समस्त टीम आपदा कंट्रोल रूम में स्थिति पर लगातार नज़र रख रही है।’’
वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से बात कर उन्हें हरसंभव मदद मुहैया कराने का आश्वासन दिया। शाह ने कहा, ‘‘पीड़ित लोगों के राहत, बचाव के लिए एनडीआरएफ बलों को तैनात किया गया है, अतिरिक्त बचावकर्ताओं को विमान के जरिए दिल्ली से उत्तराखंड ले जाया जा रहा है।’’ उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार उत्तराखंड में हालात पर लगातार नजर रख रही है।
नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क से निकलने वाली ऋषिगंगा के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में टूटे हिमखंड से आई बाढ़ के कारण धौलगंगा घाटी और अलकनन्दा घाटी में नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया जिससे ऋषिगंगा और धौली गंगा के संगम पर बसे रैणी गांव के समीप स्थित एक निजी कम्पनी की ऋषिगंगा बिजली परियोजना को भारी नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा, धौली गंगा के किनारे बाढ़ के वेग के कारण जबरदस्त भूकटाव हो रहा है।
इस बीच, उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से उत्पन्न हुई परिस्थितियों के मद्देनज़र उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को उत्तर प्रदेश के संबंधित विभागों और अधिकारियों को हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया। योगी ने गंगा नदी के किनारे पड़ने वाले सभी जिलों के जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को भी पूरी सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं।
इस बीच, उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (सूचना) नवनीत सहगल ने ट्वीट कर उत्तर प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को आपदा अलर्ट जारी किया है। उन्होंने कहा, ‘‘उत्तराखंड में नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटने की रिपोर्ट मिली है और गंगा नदी के किनारे पड़ने वाले सभी जिलों में जल स्तर संबंधी सतर्कता की 24 घंटे निगरानी किए जाने की आवश्यकता है। इसके लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, राज्य आपदा मोचन बल और पीएसी की बाढ़ नियंत्रण कंपनी को भी उच्च स्तर पर सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं।’’
चमोली के जिला प्रशासन की ओर से अलकनन्दा नदी के किनारे रह रहे लोगों के लिए अलर्ट जारी किया गया है|प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार प्रातः अचानक जोर की आवाज के साथ धौली गंगा का जलस्तर बढ़ता दिखा। पानी तूफान के आकार में आगे बढ़ रहा था और वह अपने रास्ते में आने वाली सभी चीजों को अपने साथ बहाकर ले गया।