नोट बंदी: राहगीरों की परेशानी देखते हुए, एक ढाबे की अनोखी पहल, ‘पैसे नहीं हैं फिर भी खाना खाएं अगली बार आकर दे जाएं’

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महाराष्ट्र के मराठा अकोला में राहगीरों की परेशानी देखते हुए एक ढाबे के मलिक ने सफर कर रहे सभी मुसाफिरों से बाकायदा बोर्ड लगाकर कह दिया है, पैसे नहीं हैं फिर भी खाना खाएं, लौटते वक्त अगर हो तो पैसे चुका कर जाएं।

500-100 रुपये की नोटबंदी के बाद से लोग परेशानी का सामना कर रहे हैं, किसी के पास पैसा नहीं है ज्यादातर खबरों में लोगों का गुस्सा और नाराज़गी झलकती है लेकिन महाराष्ट्र के अकोला से एक ऐसी ख़बर है जिस्से समाज को समझने की इंसानियत दिखती है।

सफर कर रहे मुसाफिरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।  जिनके पास पैसे तो हैं लेकिन उनकी अहमियत कागज़ से ज्यादा नहीं। राहगीरों की परेशानी देखते हुए महाराष्ट्र में अकोला के नेशनल हाइवे 6 पर एक ढाबे के मलिक ने सफर कर रहे सभी मुसाफिरों से बाकायदा बोर्ड लगाकर कह दिया है, पैसे नहीं हैं फिर भी खाना खाएं, लौटते वक्त अगर हो तो पैसे चुका कर जाएं।

एनडीटीवी की खबर के अनुसार, अपनी कार से मराठवाड़ा के तुलजापूर का सफर अपने परिवार साथ तय कर रहे अमरावती के पवन दांदले भी इसी बात से परेशान थे लेकिन अकोला के मराठा ढाबे में उन्हें खाना मिला और पैसे भी नहीं चुकाने पड़े।

दांदले ने कहा अंकल ने मुझसे बोला, जब भी इधर से गुजरो पैसे दे देना, नहीं भी हैं तो कोई बात नहीं. दांदले परिवार जैसी हालत नागपुर से औरंगाबाद जा रहे कविता और संजय की भी थी. उनके पास भी 500-1000 के नोट थे जिसे कोई लेने को तैयार नहीं था. ऐसे में मराठा ढाबे ने उनकी भूख मिटाई।

 

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