मुस्लिम समाज में प्रचलित एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) के खिलाफ मुस्लिम महिला (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक बुधवार (3 दिसंबर) को राज्यसभा में पेश हो गया। जबरदस्त हंगामे के बीच कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा के पटल पर रखा। बीजेपी ने अपने सभी सांसदों को राज्यसभा में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया है।बता दें कि एक साथ तीन तलाक को अपराध ठहराने वाला बिल लोकसभा में तो पास हो चुका है, लेकिन राज्यसभा में बहुमत न होने की वजह से सरकार अब विपक्ष को मनाने की कोशिश कर रही है। बिना विपक्ष की मदद के सरकार ये बिल राज्यसभा से पास नहीं करा सकती, क्योंकि राज्यसभा में एनडीए का स्पष्ट बहुमत नहीं है। कांग्रेस फिलहाल विपक्षी दलों से चर्चा के बाद रुख तय करने की रणनीति अपना रही है।
गौरतलब है कि लोकसभा में बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस, माकपा, अन्नाद्रमुक, द्रमुक, बीजद, राजद, सपा समेत कई दलों ने इसे संसदीय समिति को भेजने की मांग जोरदार तरीके से उठाई थी। राज्यसभा में भी इन दलों का रुख यही रहने की संभावना है। बिल के मुताबिक एक साथ तीन तलाक पर पति को 3 साल तक की सजा हो सकती है। दरअसल बिल का विरोध कर रहीं ज्यादातर पार्टियों का कहना है कि वे एक साथ तीन तलाक के खिलाफ हैं लेकिन सजा वाले प्रावधानों के खिलाफ हैं।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता मजीद मेनन ने कहा कि एनसीपी ने पहले ही यह साफ कर दिया है कि हम तीन तलाक को अपराध मानने के खिलाफ है। अगर शादी एक सिविल कॉन्ट्रैक्ट है तो आप तीन साल की सजा कैसे दे सकते है। इस बिल को सेलेक्ट कमिटी के पास भेजना चाहिए। वहीं सीपीआई नेता डी राजा ने भी कहा कि हमारी मांग है कि तीन तलाक बिल को राज्यसभा की चयन समिति को भेजना चाहिए।
इसके अलावा डीएमके सांसद कनिमोझी ने भी इस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि जिस तरह से लोकसभा में तीन तलाक बिल पास हुआ उम्मीद है कि राज्य सभा में भी चर्चा के बाद पास हो जाएगा। कांग्रेस को मदद करनी चाहिए।
जानिए, क्या है राज्यसभा में दलीय स्थिति?
245 सांसदों वाली राज्यसभा में फिलहाल 238 सांसद हैं। किसी विधेयक को पास कराने के 120 का आंकड़ा चाहिए। बीजेपी और कांग्रेस दोनों के अभी राज्यसभा में 57-57 सांसद हैं। इसके अलावा समाजवादी पार्टी- 18, अन्नाद्रमुक- 13, तृणमूल- 12, बीजद- 8, वामदल- 8, तेदेपा- 6, राकांपा- 5, द्रमुक- 4, बसपा- 4 और राजद के 3 सांसद हैं।
लोकसभा में तीन तलाक बिल पास
बता दें कि लोकसभा ने गुरुवार (28 दिसंबर) को बहुचर्चित मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक -2017 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। सदन ने विपक्षी सदस्यों की ओर से लाये गये कुछ संशोधनों को मत विभाजन से तथा कुछ को ध्वनिमत से खारिज कर दिया। बिना किसी संशोधन के पास हुए इस विधेयक में एक साथ तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाया गया है।
विधेयक में प्रावधान
एक साथ तीन तलाक अवैध: किसी व्यक्ति द्वारा उसकी पत्नी के लिए एक साथ तीन तलाक, चाहे बोले गए हों, लिखित हों या इलेक्ट्रानिक रूप में हो गैरकानूनी माना जाएगा।
तीन साल तक की जेल: एक साथ तीन तलाक देने वाले को एक से तीन साल तक कारावास और जुर्माना हो सकता है।
गुजारा भत्ता मिलेगा: तीन तलाक पीड़ित पत्नी और बच्चों के जीवन यापन के लिए गुजारा भत्ता मिलेगा। पत्नी अव्यस्क बच्चों की अभिरक्षा की भी हकदार होगी।