संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने शुक्रवार को कश्मीर मसले पर अपने अनौपचारिक परामर्श के दौरान स्वीकार किया कि भारत ने कश्मीर में हालात सामान्य बनाने के लिए कदम उठाया।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि भारत का यह रुख है कि अनुच्छेद 370 पूरी तरह से भारत का आंतरिक मसला है और इसमें किसी प्रकार की बाहरी जटिलता नहीं है। जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा समाप्त किए जाने और प्रदेश को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के संदर्भ में उन्होंने कहा, “भारत सरकार और हमारी विधायी निकायों द्वारा लिया गया हालिया फैसला सुशासन सुनिश्चित करने के मकसद से लिया गया है जिससे जम्मू-कश्मीर में हमारे लोगों के सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।”
भारत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मामले पर स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद को खत्म करने के लिए अनुच्छेद 370 को हटाया गया है तथा यह भारत का अंदरूनी मामला है और इसका बाहरी तौर पर कोई असर नहीं है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने जोर देते हुए कहा कि भारत सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन धीरे-धीरे प्रतिबंध को हटाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा,‘‘आप इसके लिये समय सीमा से अवगत हैं।’’
#WATCH: Syed Akbaruddin, India’s Ambassador to UN says,"so, let me start by coming across to you and shaking hands. All three of you," to a Pakistani journalist when asked,"when will you begin a dialogue with Pakistan?" pic.twitter.com/0s06XAaasl
— ANI (@ANI) August 16, 2019
श्री अकबरूद्दीन ने पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर की मौजूदा स्थिति को भयानक दिखाने की झूठी कोशिश पर तीखा हमला करते हुए कहा, ‘‘भारत जम्मू-कश्मीर के बारे में किये गये सभी समझौतों के लिए प्रतिबद्ध है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम जानते है कि कुछ लोग जम्मू-कश्मीर की स्थिति को भयानक बताने की कोशिश कर रहे है लेकिन यह जमीनी सच्चाई से बेहद दूर है। हमारी चिंता राज्य से जिहाद की सोच को खत्म करना है जो कि देश के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा दे रही है।’’
उन्होंने कहा कि कश्मीर मामले का समाधान हिंसा का रास्ता अपनाकर नहीं किया जा सकता। हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी विशेष चिंता यह है कि एक देश फिर से जिहाद की शब्दावली का उपयोग कर रहा है और भारत में अपने नेताओं के जरिये हिंसा को बढ़ावा दे रहा है जबकि यह समस्या का समाधान नहीं है।’’ उन्होंने कहा,‘‘ क्योंकि यह परिवर्तन भारत में किया गया है इसलिए इसका बाहरी तौर पर कोई असर नहीं है। भारत यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि जम्मू-कश्मीर की स्थित शांत और सामान्य रहे।’’ (इंपुट: आईएएनएस के साथ)