सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (28 नवंबर) को नीतीश सरकार को झटका देते हुए बिहार के आश्रय गृहों में बच्चों के साथ यौन दुर्व्यवहार और उत्पीड़न के सभी 17 मामलों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी। जांच सीबीआई को सौंपते हुए शीर्ष अदालत ने शख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर राज्य सरकार ने अपना कार्य सही से किया होता तो मामलों को सीबीआई को नहीं सौंपना पड़ता।

आश्रम गृहों की जांच सीबीआई को नहीं सौंपने का बिहार सरकार का अनुरोध खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टाटा इंस्टीच्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) की रिपोर्ट में बिहार के 17 आश्रय गृहों पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई थी, सीबीआई को इसकी जरूर जांच करनी चाहिए। न्यायालय ने आश्रम गृहों की जांच सीबीआई को नहीं सौंपने का बिहार सरकार का अनुरोध ठुकराया।
न्यायमूर्ति मदन बी.लोकुर, न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने बिहार सरकार को सीबीआई को मामले की जांच के लिए हर तरह की सहायता मुहैया कराने के आदेश दिए। राज्य सरकार के वकील ने मामलों की जांच बिहार पुलिस से ही कराने पर जोर दिया था, लेकिन अदालत ने बिहार सरकार के इस अनुरोध को ठुकरा दिया।
साथ ही न्यायालय ने कहा कि बिहार में आश्रय गृह की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारियों का तबादला बिना उसकी (न्यायालय) पूर्व अनुमति के नहीं किया जाए। सीबीआई ने न्यायालय को बताया कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले में सात दिसंबर तक आरोपपत्र दाखिल कर दिया जाएगा।
आपको बता दें कि अदालत ने पहले से ही मुजफ्फरपुर आश्रय गृह दुष्कर्म मामले की जांच कर रही सीबीआई को अपनी मौजूदा जांच टीम को बढ़ाने का स्वीकृति दी और कहा कि टीम का कोई भी सदस्य बिना अदालत के आदेश के जांच नहीं छोड़ सकता।