गुजरात में राज्यसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। गुजरात मे खाली हुए राज्यसभा की दो सीटों पर अलग-अलग उपचुनाव कराने की चुनाव आयोग की अधिसूचना को चुनौती वाली कांग्रेस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात कांग्रेस से कहा कि चुनाव अधिसूचना जारी होने के बाद हम इसमें दखल नहीं दे सकते। आपको बता दें कि गुजरात की इन दोनों सीटों के लिए अलग-अलग चुनाव के चुनाव आयोग के फैसले को कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। शीर्ष अदालत के इस फैसले से साफ हो गया है कि अब राज्य की दोनों सीटों पर अलग-अलग ही चुनाव होंगे।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के लोकसभा के लिए चुने जाने से ये दोनों सीटें खाली हुई हैं।अमरेली से कांग्रेस विधायक और गुजरात विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष परेशभाई धनानी द्वारा दायर याचिका में चुनाव आयोग को दोनों सीटों पर साथ-साथ चुनाव कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। दोनों राज्यसभा सीटों पर पांच जुलाई को उपचुनाव होना है। हालांकि चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि राज्यसभा सहित दोनों सदनों की सभी रिक्तियों पर उपचुनाव के लिए उन्हें ‘अलग-अलग रिक्तियां’ माना जाएगा।
दरसअल चुनाव आयोग की अधिसूचना की मुताबिक अमित शाह को लोकसभा चुनाव जीतने का प्रमाणपत्र 23 मई को ही मिल गया था, जबकि स्मृति ईरानी को 24 मई को मिला। इससे दोनों के चुनाव में एक दिन का अंतर हो गया। इसी आधार पर आयोग ने राज्य की दोनों सीटों को अलग-अलग माना है, लेकिन चुनाव एक ही दिन होंगे। गुजरात कांग्रेस ने दोनों सीटों पर अलग-अलग उपचुनाव कराने के चुनाव आयोग के फैसले को असंवैधानिक करार देते हुए न्यायालय में चुनौती दी थी।
BJP को होगा फायदा
सत्रहवीं लोकसभा के 23 मई को आए नतीजों में अमित शाह गुजरात के गांधी नगर से और ईरानी अमेठी से लोकसभा के लिए चुनी गई थीं। चुनाव आयोग ने दोनों रिक्त हुई सीटों पर 15 जून को उपचुनाव की अधिसूचना जारी की थी। आयोग ने इन सीटों पर पांच जुलाई को अलग-अलग चुनाव कराने की घोषणा की थी। धानानी ने चुनाव आयोग के आदेश को निरस्त करने और इसे असंवैधानिक और संविधान के खिलाफ बताया है।
उन्होंने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है और उनकी मांग है कि गुजरात समेत सभी राज्यों की राज्यसभा की खाली सीटों पर उपचुनाव और चुनाव एक साथ संपन्न कराये जाने चाहिए। गुजरात विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या को देखते हुए यदि दोनों सीटों पर एक साथ एक ही मतपत्र पर चुनाव हुए तो पार्टी को एक सीट पर जीत मिल सकती है, लेकिन अलग-अलग मतपत्र पर चुनाव होंगे तो दोनों सीटों पर भाजपा जीत जाएगी।
राज्य में संख्या बल के लिहाज से राज्यसभा का चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार को 61 वोटों की जरूरत होगी। एक ही मतपत्र पर चुनाव होने से एक विधायक एक ही उम्मीदवार को वोट डाल सकेगा। वर्तमान में राज्य विधानसभा में भाजपा के 100 और कांग्रेस के 71 विधायक हैं।