सुप्रीम कोर्ट ने चारा घोटाले में रांची की जेल में बंद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका बुधवार को खारिज कर दी। बता दें कि सीबीआई ने लोकसभा चुनावों के मद्देनजर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करते हुए लालू यादव की जमानत याचिका का विरोध किया था।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि वह मामलों में यादव को जमानत देने की इच्छुक नहीं है। पीठ ने लालू यादव के 24 महीनों से जेल में होने की दलीलों को खारिज कर दिया और कहा कि उन्हें दी गई 14 साल के जेल की सजा की तुलना में 24 महीना कुछ भी नहीं है।
यादव की ओर से पेश होते हुये वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि कोई बरामदगी नहीं और कोई मांग नहीं और एकमात्र बड़ा अपराध जिसके तहत उन्हें दोषी ठहराया गया था, वह साजिश थी। पीठ ने कहा कि मामले के गुण-दोष का निर्णय उच्च न्यायालय करेगा। पीठ ने कहा, ‘इस समय हम केवल जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं।’
लालू प्रसाद यादव ने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए कोर्ट से जमानत मांगी थी। लेकिन सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा पेश करके लालू यादव की जमानत याचिका का विरोध किया था। सीबीआई ने कहा था कि लालू यादव लोकसभा चुनाव के लिए जमानत मांग रहे हैं।
जांच ब्यूरो ने अपने हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक गतिविधियों में शामिल लेकर जमानत का ‘गलत’ इस्तेमाल कर सकते हैं। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव इस समय चारा घोटाला मामले में रांची स्थित बिरसा मुण्डा केन्द्रीय जेल में सजा काट रहे हैं।
रांची में बिरसा मुण्डा केन्द्रीय जेल में बंद राजद सुप्रीमो ने उनकी जमानत याचिका खारिज करने के झारखण्ड हाई कोर्ट के 10 जनवरी के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है। लालू प्रसाद को नौ सौ करोड़ रूपए से अधिक के चारा घोटाले से संबंधित तीन मामलों में दोषी ठहराया जा चुका है। ये मामले 1990 के दशक में, जब झारखण्ड बिहार का हिस्सा था, धोखे से पशुपालन विभाग के खजाने से धन निकालने से संबंधित हैं।