लम्बें समय से चले आ रहे हाईकोर्ट में न्यायधीशों की नियुक्ति को लेकर आज मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि सरकारी स्तर का ढीलापन न्यायपालिका को तबाह कर देगा। चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार इस बात को अपने अहम का मुद्दा ना बनाए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा ऐसे हालात क्यों है कि कोर्ट को ताला लगाना पड़ रहा है। और कर्नाटक हाईकोर्ट में पूरा ग्राउंड फ्लोर बंद है। क्यों ना पूरे न्यायालय को ताला ही लगा दिया जाए और लोगों को न्याय देना बंद कर दिया जाए।
एनडीटीवी की खबर के अनुसार चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा हम नहीं चाहते कि परिस्थियां ऐसी ना बने की जिससे केन्द्र और कोर्ट एक-दूसरे के सामने हो।
अगर ऐसी स्थिति आती है तो न्यायपालिका को बचाने का प्रयास होना चाहिए। जस्टिस ठाकुर ने केंद्र सरकार से पुछा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जजों की सूची का क्या हुआ। सरकार 9 महीने से इस सूची पर क्यों बैठी है? अगर सरकार को इन नामों पर कोई दिक्कत है तो हमें भेजें।
जबकि केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, हाईकोर्ट के जजों की सूची में कई नाम हैं जो सही नहीं हैं। सरकार ने 88 नाम तय किए, लेकिन सरकार एमओपी तैयार कर रही है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को होनी तय हुई है।
सुप्रीम कोर्ट सरकार के प्रति इस कड़े रूख का कारण है कि सुप्रीम कोर्ट उस जनहित याचिका की सुनवाई कर रहा है, जिसमें अदालतों में लंबित मामलों को लेकर कदम उठाने की मांग की गई हैै याचिका में कहा गया है कि लॉ कमीशन की उस रिपोर्ट को लागू किया जाए, जिसमें जजों की संख्या बढ़ाने पर विचार करने को कहा गया था।