उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार (5 जनवरी) को केंद्र से पूछा कि 15 साल से अधिक और 18 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ यौन संबंध बनाए जाने को ‘यौन अपराध से बाल संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम’ के तहत यौन उत्पीड़न करार दिया जाए, जबकि आईपीसी इसे बलात्कार नहीं मानता है।
न्यायालय ने कहा कि आईपीसी की धारा 375 (बलात्कार) एक अपवाद वाला प्रावधान है जो कहता है कि यदि पत्नी की उम्र 15 साल से कम नहीं है तो उसके साथ यौन संबंध बनाना बलात्कार नहीं है। पोक्सो की धारा 5 (एन) के मुताबिक 18 साल से कम उम्र की लड़की या लड़के के साथ यौन संबंध एक गंभीर यौन उत्पीड़न है जो दंड को आमंत्रित करता है।
प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहड़ के नेतृत्व वाली एक पीठ ने नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी के एनजीओ बचपन बचाओ आंदोलन के जरिए उजागर की गई विसंगति पर विचार किया और केंद्र से इस पर विचार करने तथा चार महीने में अपना जवाब दाखिल करने को कहा।
भाषा की खबर के अनुसार, पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति एनवी रमन और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल हैं। पीठ ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से एनजीओ की आपत्ति पर विचार करने, इसकी छानबीन करने और इस मुद्दे पर एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।
पीठ ने कहा, ‘यदि आप अब भी जवाब से नाखुश हैं तो आपको अदालत का रुख करने की आजादी है।’ पोक्सो अधिनियम की धारा छह 18 साल से कम उम्र की लड़की या लड़के के यौन उत्पीड़न पर 10 साल से लेकर उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान करती है। यह याचिका अधिवक्ता भुवन रिभू और जगजीत सिंह छाबड़ा ने दाखिल की है।