अपनी टिप्पणियों को लेकर अक्सर सुखिर्यों में रहने वाले केन्द्र में सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य सुब्रह्मण्यम स्वामी ने यूरोपीय संघ के शिष्टमंडल के जम्मू-कश्मीर दौरे को लेकर केंद्रीय सरकार पर सोमवार (28 अक्टूबर) को हमला बोला। उन्होंने कहा कि उसके सदस्य व्यक्तिगत तौर पर क्षेत्र का दौरा करेंगे और दावा किया कि यह “हमारी राष्ट्रीय नीति से पीछे हटना है।” स्वामी ने इस दौरे को रद्द करने की मांग की।
सुब्रह्मण्यम स्वामी ने ट्वीट कर कहा, “मुझे आश्चर्य है कि विदेश मंत्रालय (MEA) ने यूरोपीय संघ के सांसदों के व्यक्तिगत तौर पर (यूरोपीय संघ के आधिकारिक शिष्टमंडल के तौर पर नहीं) जम्मू-कश्मीर इलाके का दौरा करने के प्रबंध किए हैं। यह हमारी राष्ट्र नीति से पीछे हटना है। मैं सरकार से यह दौरा रद्द करने की अपील करता हूं क्योंकि यह अनैतिक है।”
I am surprised that the MEA has arranged for European Union MPs, in their private capacity [Not EU's official delegation],to visit Kashmir area of J&K. This is a perversion of our national policy. I urge the Government cancel this visit because it is immoral.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) October 28, 2019
बता दें कि, अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद किसी विदेशी प्रतिनिधिमंडल के पहले कश्मीर दौरे के तहत 27 यूरोपीय सांसदों का एक दल मंगलवार को वहां की यात्रा करेगा। घाटी की स्थिति के बारे में पाकिस्तानी दुष्प्रचार का मुकाबला करने के लिए सरकार की यह एक प्रमुख कूटनीतिक पहल है जिसके तहत इन नेताओं को ‘‘स्वयं ही चीजों को देखने’’ की अनुमति दी गई है। ये सांसद जम्मू-कश्मीर के स्थानीय लोगों से बातचीत कर उनके अनुभव जानना चाहते हैं।
घाटी की स्थिति के बारे में पाकिस्तानी दुष्प्रचार का मुकाबला करने के लिए सरकार की यह एक बड़ी कूटनीतिक पहल है जिसके तहत उन्हें विकास और शासन को लेकर भारत की प्राथमिकताओं के बारे में स्पष्ट जानकारी दी जाएगी।
यूरोपीय संसद के इन सदस्यों ने अपनी दो दिवसीय कश्मीर यात्रा के पहले सोमवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से मुलाकात की। पीएम मोदी ने स्पष्ट रूप से उन्हें बताया कि आतंकवाद का समर्थन और उसे प्रायोजित करने वालों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार प्रधानमंत्री ने कहा कि इस दौरे से शिष्टमंडल को जम्मू, कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र की सांस्कृतिक एवं धार्मिक विविधता को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी और इसके साथ ही वे इस क्षेत्र के विकास एवं शासन से संबंधित प्राथमिकताओं की सही स्थिति से अवगत होंगे। (इंपुट: भाषा के साथ)