उच्चतम न्यायालय ने आज कर्नाटक पुलिस के विशेष जांच दल को निर्देश दिया कि वह लौह अयस्क के खनन से संबंधित एक मामले में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एन धरम सिंह और एच डी कुमारस्वामी तथा अन्य की कथित भूमिका की जांच कर तीन महीने के भीतर सीलबंंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट पेश करे।
लौह अयस्क के खनन से संबंधित यह मामला बेल्लारी जिले में जंगल की 11,797 वर्ग किमी भूमि को गैर वर्गीकृत किए जाने का है जिसकी वजह से बड़े पैमाने पर लौह अयस्क का अवैध खनन किया गया था।
हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि इस दौरान राज्य के एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री एस एम कृष्णा के खिलाफ जांच पर रोक लगी रहेगी।
उच्चतम न्यायालय ने कृष्णा के खिलाफ जांच पर 16 नवंबर 2016 को जिन आधारों पर रोक लगाई थी उनमें एक आधार यह भी था कि तत्कालीन लोकायुक्त न्यायमूर्ति एन संतोष हेगड़े को उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले थे।
कृष्णा हाल ही में भाजपा में शामिल हुए हैं।
न्यायमूर्ति पी सी घोष और न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन की पीठ ने उच्च न्यायालय सहित सभी अदालतों को इस मामले में किसी भी प्रकार का आदेश देने से रोक दिया है।
एक शिकायतकर्ता टी जे अब्राहम का आरोप है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों ने कई नौकरशाहों और दूसरों के साथ सांठगांठ करके वन भूमि के एक बहुत बडे हिस्से को गैर पंजीकृत कर दिया और इसमें बडे पैमाने पर गैर कानूनी तरीके से लौह अयस्क के खनन की अनुमति दी।
पीटीआई की खबर के अनुसार, कायतकर्ता ने तत्कालीन लोकायुक्त न्यायमूर्ति एन संतोष हेगड़े की कई रिपोर्ट का हवाला देते हुये कहा कि इनमें अनेक नेताओं , नौकरशाहों और दूसरे लोगों के बारे में प्रतिकूल टिप्पणियां की हैं।
दिन भर चली सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा कि वह मामले में कुछ कार्रवाई देखना चाहती है क्योंकि लोकायुक्त की रिपोर्टों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।