सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (26 सितंबर) को केंद्र की प्रमुख योजना आधार की वैधता पर बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ आधार कार्ड की संवैधानिक वैधता बरकरार रखी है लेकिन बैंक खाता खोलने, मोबाइल सिम लेने तथा स्कूलों में नामांकन के लिए इसकी अनिवार्यता समाप्त कर दी है। शीर्ष अदालत की संवैधानिक बेंच ने बहुमत से कहा कि आधार नंबर संवैधानिक रूप से वैध है। हालांकि पीठ ने कहा कि आयकर रिटर्न भरने और पैन कार्ड बनवाने के लिए आधार अनिवार्य है।
इस बीच कांग्रेस ने आधार से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए बुधवार (26 सितंबर) को कहा कि यह ‘बीजेपी के मुंह पर तमाचा’ है। ‘आधार’ पर फैसला आने के बाद कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया, ‘हम सुप्रीम कोर्ट द्वारा आधार एक्ट के सेक्शन 57 को निरस्त किए जाने के कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। सत्यापन उद्देश्यों के लिए निजी संस्थाओं को अब आधार का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है।’
वहीं, पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले से निजता के अधिकार को बरकरार रखा है। मोदी सरकार की कठोर धारा 57 निरस्त हुई। सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘सुप्रीम कोर्ट के आधार निर्णय ने कांग्रेस पार्टी द्वारा उठाए सवालों पर नागरिकों के निजता के अधिकार को स्वीकार किया। सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार के निजता का गला घोंटू सेक्शन 57 को खारिज किया। अब सरकार आधार को बैंक खातों, मोबाइल फोन, स्कूल आदि से नहीं जोड़ सकेगी।’
#AadhaarVerdict
सुप्रीमकोर्ट के ‘आधार’ निर्णय ने कांग्रेस पार्टी द्वारा उठाए सवालों पर नागरिकों के ‘निजता के अधिकार’ को स्वीकार कियासुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार के निजता का ‘गला घोंटू’ सेक्शन 57 को ख़ारिज किया-अब सरकार आधार को बैंक खातों,मोबाइलफ़ोन,स्कूल आदि से नहीं जोड़ सकेगी।
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) September 26, 2018
वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता व पार्टी के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘‘यह बीजेपी के मुंह पर तमाचा है। न्यायमूर्ति सीकरी के फैसले ने आधार अधिनियम की धारा 57 को निरस्त कर दिया और कहा कि यह असंवैधानिक है। बायोमैट्रिक डेटा का व्यावसायिक उपयोग करने की योजना विफल हुई।’’
Slap on the face of BJP. Justice Sikri judgement strikes down Section 57 of Aadhaar Act, 2016, which says private body corporates can seek Aadhaar data. Says it’s unconstitutional. All plans to monetise biometric data now fail
— Abhishek Singhvi (@DrAMSinghvi) September 26, 2018
आधार पर सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (26 सितंबर) को अपने फैसले में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आधार को संवैधानिक रूप से वैध करार दिया। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि आधार का लक्ष्य कल्याणकारी योजनाओं के लाभ को समाज के वंचित तबके तक पहुंचाना है और वह ना सिर्फ व्यक्तिगत बल्कि समुदाय के दृष्टिकोण से भी लोगों के सम्मान का ख्याल रखती है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के अनुसार, आधार कार्ड/नंबर को बैंक खाते से लिंक/जोड़ना अनिवार्य नहीं है। इसी तरह टेलीकॉम सेवा प्रदाता उपभोक्ताओं को अपने फोन से आधार नंबर को लिंक कराने के लिये नहीं कह सकते। हालांकि पीठ ने कहा कि आयकर रिटर्न भरने और पैन कार्ड बनवाने के लिए आधार अनिवार्य है। पीठ ने निजी कंपनियों को आधार के आंकड़े एकत्र करने की अनुमति देने वाले आधार कानून के प्रावधान 57 को रद्द कर दिया है।
न्यायालय ने कहा कि आधार के लिए यूआईडीएआई ने न्यूनतम जनांकीकीय और बायोमिट्रिक आंकड़े एकत्र किये हैं। साथ ही आधार योजना के सत्यापन के लिए पर्याप्त रक्षा प्रणाली है। पीठ ने कहा कि आधार समाज के वंचित तबके को सशक्त बनाता है और उन्हें पहचान देता है। न्यायालय ने कहा कि सीबीएसई, नीट, यूजीसी आधार को अनिवार्य नहीं कर सकते हैं और स्कूलों में दाखिले के लिए भी यह अनिवार्य नहीं है।
पीठ ने सरकार को निर्देश दिया कि वह अवैध आव्रजकों को आधार नंबर नहीं दे। न्यायमूर्ति सीकरी ने कहा कि किसी भी बच्चे को आधार नंबर नहीं होने के कारण लाभ/सुविधाओं से वंचित नहीं किया जा सकता है। न्यायालय ने लोकसभा में आधार विधेयक को धन वियेयक के रूप में पारित करने को बरकरार रखा और कहा कि आधार कानून में ऐसा कुछ भी नहीं है जो किसी व्यक्ति की निजता का उल्लंघन करता हो।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि आधार योजना का मकसद समाज के वंचित वर्ग तक लाभ पहुंचाना है और वह ना सिर्फ व्यक्तिगत बल्कि सामुदायिक दृष्टिकोण से भी लोगों की गरिमा का ख्याल रखती है। पीठ ने कहा कि आधार समाज के वंचित तबके को सशक्त बनाता है और उन्हें पहचान देता है।
यह फैसला आधार योजना की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने एवं 2016 में इसे लागू करने वाले कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दिया गया। पीठ ने 38 दिनों तक चली सुनवाई के बाद मामले में फैसला 10 मई को सुरक्षित रख लिया था।